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33th Week Pregnancy: प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह के लक्षण, सावधानियां और जरूरी बातें

33 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान शिशु के विकास, गर्भावस्था के लक्षण, परीक्षण के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें-

 

Vikas Arya
Written by: Vikas AryaUpdated at: Sep 07, 2023 09:00 IST
33th Week Pregnancy: प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह के लक्षण, सावधानियां और जरूरी बातें

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प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह में गर्भ के अंदर शिशु अपने अंतिम दौर में पहुंचने वाला होता है। प्रेग्नेंसी के शुरूआती दौर से ही महिलाओं ने कई तरह के लक्षणों को महसूस किया होता है, जो सप्ताह-दर-सप्ताह जारी रहते हैं। गर्भावस्था की पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही शिशु और मां दोनों के लिए ही महत्पवपूर्ण होती हैं। आगे जानेंगे कि गर्भावस्था के 33वें सप्ताह में महिलाओं को किस तरह के लक्षण महसूस होते हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. विभा बंसल से साथ ही इस समय तक गर्भ में भ्रूण का विकास कितना होता है। 

प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह में महिलाओं को महसूस होने वाले लक्षण - 33th Week Of Pregnancy Symptoms in Hindi

प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह में महिलाओं को शिशु के आकार की वजह से थकान महसूस होने लगती है। साथ ही इस समय उनको पीठ में दर्द रहने लगता है। इसके अलावा कुछ महिलाओं को पेट में संकुचन महसूस होता है। चिकित्सीय भाषा में इसे बैक्सटन हिक्स कॉन्ट्रेक्शन कहा जाता है। आगे जानते हैं प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह में महिलाओं को किस तरह के लक्षण महसूस होते हैं। 

कलाई में दर्द 

प्रेग्नेंसी में हाथों की अंगुलियों, कलाई और पूरे हाथ में हल्का दर्द महसूस होता है। इस तरह के लक्षण को कार्पल टनल सिंड्रोम कहते हैं। ये समस्या तब होती है जब हाथ की सबसे बड़ी नस (median nerve) में सिकुड़न या दबाव उत्पन्न होता है। कपर्ल टनल सिंड्रोम प्रेग्नेंसी के किसी भी चरण में हो सकता है, लेकिन इसके होने की अधिकतर संभावना गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में होती है। इस समय महिलाओं को कलाई पर ज्यादा भार या जोर नहीं डालना चाहिए। 

सांस लेने में परेशानी होना

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में गर्भ में पल रहे शिशु के बढ़ते आकार की वजह से महिलाओं के डायाफ्राम में दबाव पड़ने लगता है। साथ ही उनके फेफड़ों पर भी गर्भाशय की ओर से दबाव बढ़ने लगता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर व एमनियोटिक फ्लूयड के अधिक होने पर महिलाओं को सांस लेने में परेशानी होती है। गर्भावस्था के अंतिम दौर में महिलाओं को इस तरह की समस्या होने लगती है। यदि सांस लेने में ज्यादा दिक्कत हो तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। 

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बार-बार पेशाब आना

प्रेग्नेंसी में बार-बार पेशाब आना एक आम लक्षण है। लेकिन तीसरी तिमाही में शिशु की वजन से ब्लैडर पर दबाव पड़ने की वजह से महिलाओं को बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। वैसे तो इस समय बार-बार पेशाब आने से महिलाओं को किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है, लेकिन ऐसे में उनको असहजता महसूस हो सकती है। साथ ही बार-बार पेशाब जाने की वजह से महिलाओं को रात में गहरी नींद लेने में भी परेशानी होने लगती है। इस तरह की असहजता होने पर महिलाओं को रात के समय सोडा या कॉफी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा एक बार में ही ब्लैडर को पूरा खाली करने का प्रयास करना चाहिए। 

चीजों को याद रखने में परेशानी होना

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में महिलाओं को अपनी डिलीवरी को लेकर चिंता सताने लगती है। इस वजह से उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं और उनको चीजों को याद रखने में परेशानी होती है। इस समस्या को प्रेग्नेंसी ब्रेन के नाम से जाना जाता है। लेकिन डिलीवरी के बाद ये समस्या सही हो जाती है। 

प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह में महसूस होने वाले अन्य लक्षण 

  • सिरदर्द होना
  • पाचन में समस्या 
  • सीने में जलन होना
  • मसूड़ों में दर्द और सूजन
  • यूरिन इंफेक्शन होना

प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह तक भ्रूण का विकास - Fetus Development During 33th Week Of Pregnancy in Hindi

प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह का भ्रूण का वजन करीब 1.8 से 1.9 किलोग्राम तक हो जाता है। इस समय तक बच्चे का मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र विकास के अंतिम दौर में होता है। कुछ बच्चों के तंत्रिका तंत्र व मस्तिष्का का निर्माण पूरा हो चुका होता है। इसके अलावा इस सप्ताह तक बच्चे के सिर की हड्डी के अलावा अन्य हड्डियां मजबूत हो रही होती है। 

विशेष सूचना - किसी भी तरह के गंभीर लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। 

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प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न - FAQ’s for Week-by-Week Stages of Pregnancy In Hindi

प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह में डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

प्रेग्नेंसी के 33वें सप्ताह में महिलाओं को लेबर पेन महसूस होने लगे, सांस लेने में ज्यादा परेशानी होने लगे या गर्भ में बच्चे के कम हिलने पर भी महिलाओं को डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। सामान्यतः माना जाता है कि गर्भ में बच्चा एक घंटे में करीब छह से दस बार हिलता या घूमता है। 

क्या प्रेग्नेंसी में स्तनों से दूध निकालना चाहिए? 

प्रेग्नेंसी के तीसरी तिमाही में महिलाओं के स्तनों से दूध की तरह तरल बाहर आने लगता है। लेकिन डॉक्टर कहते हैं कि महिलाओं को इस समय स्तनों से खुद दूध को बाहर नहीं निकालना चाहिए, क्योंकि ऐसे में उनके गर्भाशय में संकुचन शुरू हो सकता है। 

गर्भावस्था के अंतिम दौर में क्या करें?

प्रेग्नेंसी के अंतिम दौर में महिलाओं को डाइट में पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। साथ ही नॉर्मल डिलीवरी के लिए कई तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अलावा किसी भी तरह की दर्द निवारक दवाएं बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं खानी चाहिए। 

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