ऑस्टियोअर्थराइटिस अर्थराइटिस का ही एक प्रकार है, जिसमें हड्डियों पर मौजूद टिशूज में लचीलापन कम हो जाता है। इस रोग में हड्डियों के जोड़ों के कार्टिलेज घिस जाते हैं और उनमें चिकनाहट कम होने लगती है। आमतौर पर यह बीमारी अधेड़ावस्था यानी 40 से 50 या इससे अधिक उम्र वाले लोगों में इसके होने की आशंका ज्यादा होती हैं। लेकिन शहरी जीवन में यह बीमारी युवाओं और बच्चों में भी दिखायी दे रही है। जोड़ों में दर्द होना, जोड़ों में तिरछापन, चाल में खराबी, यानी चलने-फिरने की क्षमता का कम होना जैसे लक्षण इस बीमारी में दिखाई देते हैं।
ऑस्टियोअर्थराइटिस के 5 स्टेज होते हैं। स्टेज 0 में मरीज की हड्डियां पूरी तरह सामान्य होती हैं। स्टेज 1 में इस बीमारी की शुरुआत होती है और स्टेज 4 में ये बीमारी अपने चरम पर होती है। इन सभी स्टेज के अलग-अलग लक्षण होते हैं। आइये लक्षणों के आधार पर जानते हैं कि आप किस स्टेज में हैं।
स्टेज 0 ऑस्टियोअर्थराइटिस
स्टेज 0 में आपके घुटने पूरी तरह "सामान्य" होते हैं। यानि अगर आपको घुटनों में दर्द की समस्या होती है, तो इसका कारण ऑस्टियोअर्थराइटिस नहीं बल्कि घुटनों का ही कोई अन्य रोग हो सकता है।
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स्टेज 1 ऑस्टियोअर्थराइटिस
स्टेज 1 होने पर व्यक्ति में बहुत हल्के और सामान्य लक्षण देखे जाते हैं। इसमें आमतौर पर आपको हड्डियों के जोड़ों के पास की हड्डी कुछ बढ़ी हुई लगती है यानि हड्डियों में असामान्य विकास ऑस्टियोअर्थराइटिस का पहला लक्षण है। आमतौर पर स्टेज 1 ऑस्टियोअर्थराइटिस में दर्द नहीं होता है या बहुत कम और कभी-कभी होता है।
स्टेज 2 ऑस्टियोअर्थराइटिस
स्टेज 2 ऑस्टियोअर्थराइटिस में लक्षण और अधिक उभर आते हैं। जब जोड़ों पर कोई हड्डियां या कई हड्डियां ज्यादा बढ़ती हुई दिखाई देती हैं, तो डॉक्टर एक्सरे द्वारा इसका पता लगाते हैं। स्टेज 2 ऑस्टियोअर्थराइटिस में आमतौर पर हड्डियों में उभार देखा जाता है मगर कार्टिलेज इस समय तक स्वस्थ होते हैं। इस स्टेज में आमतौर पर जोड़ों में पाया जाने वाला सिनोवियल फ्लूइड भी पर्याप्त होता है जिससे आपको चलने-फिरने, उठने-बैठने और घुटनों को मोड़ने आदि में परेशानी नहीं होती है।
लेकिन स्टेज 2 के मरीजों को आमतौर पर ज्यादा चलने पर या ज्यादा मेहनत करने पर जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाती है या कई बार घंटों एक जगह बैठने के कारण और लेटने के कारण दर्द की शिकायत हो जाती है।
स्टेज 3 ऑस्टियोअर्थराइटिस
ये बीच की यानि "मध्यम" स्टेज है। इस स्टेज में मरीज के कार्टिलेज थोड़ा-थोड़ा प्रभावित होने लगता है और हड्डियों के बीच की जगह सिकुड़ने लगती है। स्टेज 3 ऑस्टियोअर्थराइटिस के मरीजों को चलने-फिरने या झुकने के दौरान अक्सर ही दर्द की शिकायत रहने लगती है। लंबे समय तक बैठे रहने के बाद अक्सर उनकी हड्डियां अकड़ जाती हैं। ज्यादा चलने और मेहनत करने के बाद जोड़ों में सूजन की समस्या भी देखी जा सकती है।
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स्टेज 4 ऑस्टियोअर्थराइटिस
स्टेज 4 आते-आते ऑस्टियोअर्थराइटिस "गंभीर" रूप ले लेता है। स्टेज 4 के मरीजों को इस बीमारी में तेज दर्द का सामना करना पड़ता है। इस स्टेज में मरीज के लिए चलना-फिरना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि अंगों को इधर-उधर हिलाने-डुलाने से ही तेज दर्द महसूस होता है। इस स्टेज में जोड़ों के बीच हड्डियों के बीच की जगह बहुत ज्यादा सिकुड़ जाती है और कार्टिलेज लगभग पूरी तरह खत्म हो चुके होते हैं। मरीज की हड्डियों के बीच सिनोवियल फ्लूइड भी बहुत कम हो जाता है। जिसके कारण हड्डियों के बीच की चिकनाई खत्म हो जाती है।