आधुनिक जीवन शैली ने कई तरह की बीमारियों को जन्म दिया है। आज हर तीसरा इंसान किसी न किसी बीमारी की दवाई ले रहा है। खानपान एवं बदलती जीवन शैली की वजह से हार्ड अटेक, हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर (डायबिटीज) जैसी बीमारियां होती हैं। डायबिटीज में आपके रक्त में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। ब्लड शुगर भी एक ऐसी बीमारी है जिसको एक बार हो जाये फिर जीवन भर उसका साथ नहीं छोडती है।
डायबिटीज क्या है - What Is Diabetes In Hindi
डायबिटीज एक मेटाबॉलिक बीमारियों का समूह जिसमें व्यक्ति के ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है। जब बॉडी में इंसुलिन ठीक से न बने या बॉडी की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए प्रतिक्रिया न देने पर ब्लड शुगर (Blood Sugar) नार्मल से अधिक बढ़ जाता है। यही कारण है कि व्यक्ति को बार बार पेशाब आना, भूख लगना एवं प्यास भी लगती है। अगर ब्लड शुगर को नियंत्रित नहीं रखा जाये तो यह घातक सिद्ध हो सकता है और कई बीमारियों को भी आमंत्रित करता है। ब्लड शुगर की बीमारी के कारण शरीर के अंगों में दर्द, किडनी की परेशानी, आंखों की रोशनी का कमजोर पड़ना और दिल के दौरे का की संभावना बढ़ जाती है।
ब्लड शुगर बढ़नेेे के संकेत
प्रत्येक व्यक्ति को ब्लड शुगर की बीमारी के कुछ लक्षणों की जानकारी होनी चाहिए। कई ऐसे सामान्य से दिखने वाले लक्षण होते हैं, जिन पर अगर आप समय रहते ध्यान देते हैं, तो आप ब्लड शुगर की बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं।
- जल्दी जल्दी पेशाब लगना।
- जल्दी जल्दी प्यास लगना और गला सुखना जैसी समस्या होना।
- शरीर में दर्द की शिकायत होना।
- शरीर में संक्रमण एवं गुप्तांगों में सुजन आना।
- शरीर के घाव का जल्दी से न भरना।
- आंखों की रोशनी कम पड़ना।
- शरीर का वजन अचानक से बढ़ जाना या फिर जल्दी से कम हो जाना।
- शरीर में थकान एवं कमजोरी बनी रहना।
- सामान्य भूख से अधिक भूख लगना।
- व्यवहार में सुखापन एवं चिड़चिड़ापन होना।
इसमें से अगर कोई भी ब्लड शुगर का लक्षण आपको अपने शरीर में दिखे, तो एक बार ब्लड शुगर की जांच ज़रूर कराएं।
डायबिटीज के कारण
डायबिटीज के अनेको कारण है जिसमें खान पान मुख्य हैं क्योंकि खानपान ही महत्वपूर्ण है जैसा खायेंगे वैसा फल तो मिलना ही है। तो चलिए जानते हैं:-
1. खराब खानपान
वर्तमान की बदलती जीवनशैली के कारण जंक फूड एवं पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन की गलत आदतें डायबिटीज का एक कारण है। आजकल घर का साधारण भोजन कोई नहीं करना चाहता हैं। साथ ही साथ ऑफिस में घण्टों बैठे रहते हैं। न कोई व्यायाम जैसी गतिविधि करते हैं जो कि डायबिटीज का कारण बनता है।
2. मोटापा
व्यक्ति का सामान्य से अधिक वजन होने पर मोटापा कहलाता है। खानपान के कारण मोटापा बढ़ता है। जब ज्यादा वजन इंसुलिन के निर्माण प्रक्रिया को बाधित करता है। बॉडी में फैट के स्थान पर वसा के जमाव होने से इंसुलिन निर्माण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है जिनका रिजल्ट डायबिटीज के रूप में आता है।
3. जीन एवं आनुवंशिकता
आनुवंशिकता के कारण आप डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं। यानी आपके पिता जी को डायबिटीज था तो आपको होने की संभावना बढ़ जाती है।
ब्लड शुगर के प्रकार
A. यह एक ऑटोइम्यून नाम का एक विकार है, इसमें बीटा कोशिकाएं इंसुलिन बनने में असमर्थ हो जाती है।
B. ब्लड शुगर में शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है।
C. गर्भवती महिलाओं को ब्लड शुगर होने का खतरा ज़्यादा रहता है क्योंकि इस दौरान इनके शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम होने लगती है।
डायबिटीज से बचाव
वैसे तो डायबिटीज एक बार होने के बाद आपको लाइफटाइम केअर करने की आवश्यकता होगी। प्रति सप्ताह आपको शुगर लेवल पर नजर रखनी होगी। यदि अपनी जीवनशैली एवं खानपान में बदलाव करें तो आप सुखद जीवन जी सकते हैं तो आइए जानते हैं आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर डॉक्टर चंचल शर्मा के अनुसार शुगर से कैसे बचें?
1. संतुलित आहार
मधुमेह से बचने के लिए आपको सन्तुलित आहार सेवन करने की आवश्यकता होती है। जैसे फल, हरी सब्जियों एवं अनाज का रेगुलर सेवन करना लाभकारी है।
2. व्यायाम करना
डायबिटीज से बचने के लिए नियमित रूप से सुबह शाम व्यायाम करने की आवश्यकता होती है। जिसे आप तंदुरुस्त बने रहें।
3. मोटापा कंट्रोल करें
कहते हैं मोटापा अनेको बीमारियों की जड़ है। यदि आप बढ़ते वजन पर कंट्रोल कर लेते हैं तो डायबिटीज से बचा जा सकता हैं।
4. तनाव से बचें एवं पर्याप्त नींद लें
मानसिक रूप से तनाव लेने पर आप कई बीमारियों से घिर सकते हैं उनसे डायबिटीज भी एक हैं। इसलिए तनाव से बचें एवं शरीर के सुकून के लिए पर्याप्त नींद ले। एक स्वस्थ इंसान को कम से कम 8 घण्टे नींद लेना चाहिए।
5. नशे का सेवन न करें
नशा करना बॉडी के लिए घातक सिद्ध होता है। जो कई बीमारियों को जन्म देता है। बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू व शराब जैसी चीजों से दूरी बनाये रखें।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के प्राकृतिक उपाय
आशा आयुर्वेदा की एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा के अनुसार, ब्लड शुगर को कुछ घरेलु उपचार के माध्यम से काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
1. करेले का जूस
करेले का जूस नेचुरल तरीके से शरीर में ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। यह हमारे शरीर में इंसुरिन की मात्रा को सक्रिय करता है। करेले में एंटी डायबिटिक्स संम्प्रेरक पाई जाती है, जो ब्लड ग्लूकोज को कम करती है।
2. मेथी
मेथी के दाने में घूलनशील फाइबर पर्याप्त मात्रा में होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को नीचे लाने में सहायक होता है।
3. दालचीनी
दालचीनी ब्लड शुगर के लेबल को कम करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका सेवन आप मसाले के तौर पर या चाय बनाकर सेवन कर सकते हैं।
4. जामुन
जामुन ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए काफी फायदेमंद होती है। जामुन के बीज का चूर्ण ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकता है।
5. नीम
प्रतिदिन नीम के पत्तों के सेवन से हाइपोग्लाइसेमिक या ब्लड शुगर के लेबल का कम किया जा सकता है। रोज सुबह दातून करने के बाद 2 से 4 नीम के पत्तों चबाकर खा सकते हैं।
6. हल्दी
हल्दी एक ऐसी औषधि है जिसमें कई प्रकार के गुण पाये जाते हैं। इसमें सबसे अधिक एन्टी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए शहद के साथ सूखे आंवले के पॉउडर मिलाकर सेवन करने से रिलीफ मिलता हैं।
7. पुदीना
पुदीना भी एक बहुत उपयोगी है। शीत ऋतु में लोग इसे चटनी बनाकर सेवन करने से लाभ होता है। पुदीने की पत्तियों में अदरक का टुकड़ा, लहसुन व खट्टा अनार दाना पीसकर चटनी बनाकर सेवन करने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
कैसे पता करें आपको ब्लड शुगर है या नहीं?
ब्लड शुगर का पता लगाना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इसके लक्षण आम स्वास्थ्य समस्याओं के जैसे नही होते हैं। कुछ परीक्षण यहां हमने आपको बताए हैं जिसके आधार पर इसे आसानी से पता लगा सकते हैं।
1. ग्लूकोज फास्टिंग टेस्ट
यह टेस्ट बिना कुछ खायें पीये किया जाता है। जब इस टेस्ट में मरीज का ब्लड शुगर 200 से अधिक हो जाता है तो ब्लड शुगर की पुष्टि हो जाती है।
2. आरपीजी टेस्ट
इस टेस्ट को दिन में किसी भी समय कर सकते है, रैन्डम टेस्ट भी कहते है। इस टेस्ट के माध्यम से शुगर का स्तर मापा जाता है।
3. एचबीए1 टेस्ट
संपूर्ण ग्लूकोज को कंट्रोल करने के लिए यह टेस्ट का सहारा लिया जाता है।
4. ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
इस टेस्ट करवाने से पूर्व 6 से 8 घंटे तक कुछ भी खाया नही होता है और ग्लूकोज का पानी पीना होता इसके पश्चात दो घंटे तक ब्लड का शुगर लेबल का नियमित रुप से टेस्ट किया जाता है।
ऊपर बताई गई जांचों में से कुछ घर पर और कुछ टेस्ट डॉक्टर की निगरानी में किए जाते हैं।
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