सोडा पीने से सिर्फ डायबिटीज या मोटापा नहीं, डिप्रेशन का भी बढ़ता है जोखिम, नई स्टडी में खुलासा
डिमेंशिया एक गंभीर मानसिक समस्या है। इसमें कई तरह की मानसिक स्थितियां शामिल होती हैं। इसमें सोचने-समझने की क्षमता खो देना, अतार्किक बातें करना और रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी महसूस करना आदि शामिल हैं। डिमेंशिया होने पर व्यक्ति दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है। इस स्थिति में वह खुद से कुछ भी नहीं कर पाता है। अपनी छोटी-छोटी चीजों के लिए भी दूसरे लोगों पर निर्भर हो जाता है। बातों को भूल जाना, याद्दाश्त कमजोर होना, बातचीत करने में दिक्कत होना आदि डिमेंशिया के लक्षण हैं। डिमेंशिया के कई कारण होते हैं। इसमें खराब लाइफस्टाइल भी शामिल है। खराब लाइफस्टाइल की वजह से युवाओं में डिमेंशिया का जोखिम बढ़ सकता है।
स्टडी के अनुसार खराब लाइफस्टाइल की वजह से लोगों में डिमेंशिया का जोखिम बढ़ता है। खराब लाइफस्टाइल का असर मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर पड़ता है, जो डिमेंशिया के खतरे को बढ़ सकता है। इन खराब आदतों की वजह से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है।
कम फिजिकल एक्टिविटी की वजह से युवाओं में डिमेंशिया का जोखिम बढ़ता है। दरअसल, जब कोई शारीरिक गतिविधि कम करता है, तो इससे हृदय और फेफड़ों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। साथ ही, ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित होता है। इससे डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ता है।
धूम्रपान सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है। धूम्रपान करने से फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। इससे मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं भी प्रभावित होती हैं। दरअसल, धूम्रपान करने से मस्तिष्क में हानिकारक पदार्थों का निर्माण होता है, जिससे सूजन होने लगती है और नर्वस सेल्स को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। ये पदार्थ स्ट्रोक और डिमेंशिया के जोखिम को भी बढ़ाते हैं।
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अगर आप अस्वस्थ खाना खाते हैं, तो इससे डिमेंशिया का जोखिम बढ़ जाता है। अनहेल्दी डाइट खाने से मस्तिष्क स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर और डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ता है।
अधिक मात्रा में शराब पीने से संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित होता है। शराब पीने से मस्तिष्क में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे नर्वस सेल्स को नुकसान पहुंचता है। इसकी वजह से डिमेंशिया होने का जोखिम बढ़ जाता है। अधिक मात्रा में शराब पीने से व्यक्ति में कोर्साकॉफ सिंड्रोम और शराब से संबंधित मस्तिष्क क्षति का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है।
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Read Study: https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/32554763/
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