चिकनगुनिया- chikungunya in hindi

मच्‍छर देखने में भला ही छोटा लगे, लेकिन इसके काटने से कई गंभीर और यहां तक कि जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोग मच्‍छरों के काटने से ही होते हैं और दुनिया भर में हर साल बड़ी संख्‍या में लोग इन रोगों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। आपको बता दें कि ‘चिकनगुनिया’ फीवर पहली बार वर्ष 1953 में तंजानिया में पहली बार प्रकाश में आया था। तंजानिया के बाद धीरे-धीरे इस वायरल ने पश्चिम, मध्य और दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्रों से होते हुए एशिया में भी अब अपने पांव पसार लिए हैं। आज हमारे देश में भी चिकनगुनिया के मरीज भारी संख्‍या में देखे जाते हैं। चिकनगुनिया बुखार वायरस से फैलता है। अल्‍फा नाम का यह वायरस एडिस मच्‍छर के काटने से फैलता है। चिकनगुनिया शब्‍द अफ्रीकी शब्‍द से बना है, जिसका अर्थ है ''ऐसा जो मुड़ जाता है'' और यह रोग से होने वाले गठिया के लक्षणों के परिणामस्‍वरूप विकसित होने वाले झुके हुए शरीर के संदर्भ में है।

चिकनगुनिया बुखार के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 2-4 दिनों के बाद सामने आते हैं। चिकनगुनिया बुखार के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-

  • जोड़ों में तेज दर्द
  • स्नायु दर्द
  • उच्च तापमान का बुखार
  • आंखों में रुखापन और जलन
  • खुश्की
  • सिर में भारीपन महसूस होना
  • भूख न लगना
  • कुछ भी चीज खाने के दौरान कड़वा स्वाद आना
  • तरल पदार्थों को देखकर जी खराब होना

हालांकि यह संक्रमण अधिकांश मामलों में प्राणघातक नहीं होता। अधिकांश मरीज कुछ दिनों में स्वस्थ हो जाते हैं। लेकिन, इसका असर लंबे समय तक रह सकता है, जिसमें कई हफ्तों तक थकान रह सकती है। महीनों या वर्षों के लिए जोड़ों में दर्द रह सकता है। इसके साथ ही कुछ अन्‍य लक्षण भी आपको लंबे समय तक परेशान कर सकते हैं। चिकनगुनिया में डेंगू बुखार से अधिक समय तक जोड़ों में दर्द रहता है। वहीं जैसा डेंगू बुखार के मामलों में रक्तस्रावी मामले देखे जाते हैं वैसा चिकनगुनिया बुखार में नहीं देखा जाता।

चिकनगुनिया बुखार भले ही 2 से 12 दिन तक रहता है लेकिन रोगी को इससे उबरने के लिए महीनों लग जाते हैं। कभी-कभी ये समय 6 महीने तो कभी 1 से 2 साल भी हो सकता है। दरअसल, इस वायरस से शरीर बहुत कमजोर हो जाता है जिसको बाद में उबरने में समय लगता है और जोड़ों का दर्द सही होने में समय लग जाता है।

  • चिकनगुनिया वायरस से पीड़ित व्यक्ति कुछ सप्ताह तक हर समय थकान से परेशान रहता है।  
  • कुछ रोगियों को हफ्तों या महीनों तक असहनीय दर्द, गठिया दर्द आदि की शिकायत भी हो सकती है।
  • कई रोगियों को चिकनगुनिया के लक्षणों के आधार पर कई तरह की मस्तिष्कर की समस्यातएं, गुर्दे की बीमारियां तथा इसी तरह की अन्य  गंभीर बीमारियां हो सकती है।
  • कई रोगियों को इस वायरस के कारण जीवनभर किसी भी अन्य बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
  • शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, निमोनिया, सांस संबंधी बीमारियां आदि चिकनगुनिया के प्रभाव से हो सकती हैं।
कारण

चिकनगुनिया के वायरस को फैलने में एक संवाहक की जरूरत होती है और एडिस प्रजाति का यह मच्‍छर वायरस के लिए इसी संवाहक का काम करता है। इनसानों के आपसी संपर्क से यह वायरस नहीं फैलता। और न ही अभी तक ऐसा कोई मामला ही सामने आया है। इसके लिए मच्‍छर पहले संक्रमित व्‍यक्ति को काटता है और उसके बाद किसी स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति को। ऐसे ही यह वायरस एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति के शरीर में पहुंचता है और उसे बीमार बना देता है। अपने घर और आसपास का माहौल साफ-सुथरा रखकर आप इस बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं। अफ्रीका और एशिया में चिकनगुनिया फैलाने वाला यह मच्‍छर काफी खतरनाक होता है। यह मच्‍छर डेंगू और पीला ज्‍वर फैलाने में भी यही मच्‍छर उत्तरदायी होता है। इसलिए दुनिया का बड़ा हिस्‍सा चिकनगुनिया वायरस से प्रभावित हो सकता है।

आरटी पीसीआर टेस्ट- नेस्टेआड प्राइमर पेयर्स का इस्तेमाल करते हुए व्यक्ति के शरीर में से रक्त लेकर चिकनगुनिया के विशेष जींस को बढ़ाकर देखा जाता है इस टेस्ट की रिपोर्ट आने में एक से दो दिन लगते है।

वायरस आइसोलेशन टेस्ट- इस टेस्ट को चिकनगुनिया को डायग्नोस करने के लिए सबसे भरोसे का टेस्ट माना जाता है इसकी रिपोर्ट आने में एक से दो सप्ताह लगता है और इस टेस्ट को बायोसेफ्टी लेवल 3 की लेबोरेटरी में किया जाता है इसमें व्यक्ति के शरीर से ब्लड लेकर यह देखा जाता है कि चिकनगुनिया का वायरस व्यलक्ति के शरीर में किस तरह का रिस्पां स कर रहा है।

सीरोलॉजिकल डायग्नोसि‍स टेस्ट– इस टेस्ट में पहले दो टेस्ट के मुकाबले व्यक्ति के शरीर से ज्यादा ब्लड लेने की जरूरत पड़ती है इससे ब्लड में चिकनगुनिया का खास आईजीएम लेवल देखा जाता है इस टेस्ट‍ की रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन का समय लगता है।

कैसे रोक सकते हैं इसे

  • चिकनगुनिया की कोई दवा फिलहाल मौजूद नहीं है। यह बीमारी एडिस मच्‍छर के काटने से फैलती है। यह मच्‍छर एकत्रित पानी में पैदा होता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने आसपास सफाई रखें। घर पर बेकार पड़े बर्तनों में पानी जमा न होने दें।
  • कूलर, पक्षियों को पानी पिलाने वाला बर्तन, स्विमिंग पूल, गमले आदि में जमा पानी में यह मच्‍छर पनप सकता है। घरों में कूलर को सप्‍ताह में एक बार जरूर साफ करें। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो आप उसमें सप्‍ताह में एक बार एक बड़ा चम्‍मच पेट्रोल का डाल सकते हैं।
  • इसके साथ ही ही स्विमिंग पूल का पानी भी बदलते रहें। यदि आप बाहर स्विमिंग करने जाते हैं अथवा अपने बच्‍चे को भेजते हैं तो इस बात की पूरी तस्दीक कर लें कि वहां का पानी नियमित बदला जाता हो।
  • मच्‍छर के काटे जाने से बचने के लिए आप दवा का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। साथ ही पूरी बाजू की कमीज पहनने से भी इस मच्‍छर के प्रकोप से कुछ हद तक बचा जा सकता है। सोते समय मच्‍छरदानी का प्रयोग करें। घर और आसपास के इलाके में मच्छर भगाने वाले स्प्रे, फॉगिंग, इन्सेक्टिसाइस वगैरह मच्‍छर मारने वाली दवाओं का इस्‍तेमाल करें।
  • चिकनगुनिया फ़ैलाने वाले एडीज एइजिप्ती नामक मच्छर आमतौर पर घर के अंदर रहता है और घर के कोनो में, अंधेरे में, ठंडी जगहों पर, पर्दों के पीछे, बिस्तर के नीचे अथवा बाथरूम में पाया जाता है। वैसे मच्छरों को मारने के लिए कीट स्प्रे से इन क्षेत्रों में छिड़काव करें।
  • घरों या अपने आसपास के इलाकों में पानी का जमाव न होने दें।
  • घरों में कूलर को सप्‍ताह में एक बार जरूर साफ करें। अगर ऐसा करना संभव न हो, तो आप उसमें सप्‍ताह में एक बार एक बड़ा चम्‍मच पेट्रोल का डाल सकते हैं। 
  • पूरी बाजू के शर्ट और फुल पैंट पहनें ताकि शरीर के कम से कम हिस्से खुले रहें।
  • बॉडी के खुले पार्ट्स में मच्छर मार क्रीम का इस्तेमाल करें।
  • घर और आसपास के इलाके में मच्छर भगाने वाले स्प्रे, फॉगिंग, इन्सेक्टिसाइस वगैरह दवाओं का छिड़काव कराएं।
  • ध्यान दें कि बच्चों को जहां खेलने भेज रहे हैं, वहां या उसके आसपास के इलाकों में पानी का जमाव तो नहीं है।
  • बच्चों को स्विमिंग के लिए भेजने से पहले यह जांच करना न भूलें कि पूल का पानी कितने दिनों में बदला जा रहा है।
  • चिकनगुनिया बुखार के दौरान रोगी को दिन में 2-3 बार चॉकलेट खानी चाहिए साथ ही दिन में 4-6 छेनी और सफेद रसगुल्ले  खाने चाहिए क्योंकि ये कैलोरी बढ़ाने में मददगार साबित होता है। लेकिन शुगर और ब्लसड प्रेशर हाई पेशेंट्स को मीठे से परहेज करवाया जाता है। 
  • दूध और इससे बने उत्पादों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। इसमें होने वाला केसरीन प्रोटीन सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। 
  • पानी अधिक से अधिक माञा में पीना चाहिए इससे चिकनगुनिया बुखार से उबरने में बहुत मदद मिलती है।
  • हेल्दी डाइट के साथ भरपूर कैल्शियम लेना चाहिए। 
  • मौसमी जूस, सूप, गुनगुना पानी, दाल का पानी आदि के साथ तरल पदार्थों की मात्रा अधिकतम होनी चाहिए जिससे कि पचने में आसानी हो।
  • तेल का कम से कम प्रयोग करते हुए हरी सब्जियों पर ज्यादा ध्यान दें।
  • फलों में सेब, केले खाना अधिक बेहतर होता है। कोशिश हो कि ठंडे फलों से बचा जा सकें।
  • चाय-कॉफी को तेज बुखार होने पर नजर अंदाज करें।
  • आप आसानी से पचने वाले खाने को खा सकते हैं। डॉक्टनर्स इन सभी के साथ एक सबसे अहम सलाह देते हैं कि मरीज जो कुछ भी खाएं खुशी-खुशी खाएं इससे शरीर को अधिक एनर्जी मिलेगी और ठीक होने में भी मदद मिलेगी।

इस बुखार से लड़ने के लिए आमतौर पर आयुर्वेद में विलवदी गुलिका, सुदर्शनम गुलिका और अमृतरिष्ठाव दिया जाता है। लेकिन, इन दवाओं को आजमाने से पहले किसी अनुभवी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्‍यक है। क्‍योंकि अनुभवी चिकित्‍सक ही आपको बता पाएगा कि आपको इन दवाओं का कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए और साथ ही इन दवाओं के सेवन के साथ आपको किस प्रकार की अन्‍य सावधानियां बरतनी पड़ेंगी।

  • दूध से बने उत्पाद, दूध-दही या अन्य। चीजों का सेवन भी खूब करना चाहिए।
  • नीम के पत्तों को पीस कर उसका रस निकालकर चिकनगुनिया से ग्रसित व्यक्ति को दें।
  • चिकनगुनिया होने पर इसका असर व्‍यक्ति के रक्‍तचाप पर भी पड़ता है। व्‍यक्ति का रक्‍तचाप कम होने से व्‍यक्ति का स्‍वभाव भी बिगड़ जाता है। इसके साथ ही उसे काफी पसीना आता है और वह काफी थका हुआ महसूस करता है। ऐसे में चॉकलेट खाने से उसे राहत मिलती है। चॉकलेट में मौजूद तत्‍व और ग्‍लूकोज शरीर में घुलकर व्‍यक्ति को आराम और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • चिकनगुनिया के कारण आपका शरीर काफी थक जाता है। इससे शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए शरीर को पर्याप्‍त मात्रा में आराम करना जरूरी होता है। आराम करने से आपकी मांसपेशियों को राहत मिलती है और उन्‍हें बीमारियों के दुष्‍प्रभाव से उबरने का पर्याप्‍त समय मिल जाता है।
  • पानी आपके शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। चिकनगुनिया होने पर आपके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में अगर आप पर्याप्‍त मात्रा में पानी नहीं पिएंगे तो आपको डिहाइड्रेशन यानी निर्जलीकरण की समस्‍या हो सकती है, जो आपके लिए अच्‍छा नहीं होगा।