12 महीने तक माहवारी (Menstruation Cycle) का ना आना रजोनिवृत्ति (मीनोपॉज) का संकेत हो सकता है। रजोनिवृत्ति (Menopause) की प्रक्रिया से हर महिला को गुजरना पड़ता है। हर महिला की रजोनिवृत्ति की आयु अलग-अलग होती है। परंतु अगर औसत आयु की बात करें तो यह 40 से 50 वर्ष के बीच होती है। महिलाओं के लेकर हाल ही में हुए सर्वे से पता चला है कि अब मीनोपॉज की उम्र अब कम हो गई है अर्थात कुछ महिलाओं को 30 वर्ष से ही इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इतनी कम उम्र में मीनोपॉज काफी चिंता जनक है। इस सर्वे के अनुसार 29 से 34 वर्ष की 2 प्रतिशत भारतीय महिलाएं रजोनिवृत्ति का अनुभव करती हैं और धीरे-धीरे यह आंकड़ा 8 प्रतिशत तक बढ़ा है।
रजोनिवृत्ति (मीनोपॉज) के दौरान महिला के पीरियड्स प्राकृतिक रुप से बंद हो जाते हैं। मीनोपॉज के बाद महिलाएं संतान को जन्म देने में असमर्थ हो जाती हैं अर्थात इस अवस्था के बाद महिलाएं बच्चे नहीं पैदा कर सकती हैं। इस स्थिति में महिलाओं के शरीर में बहुत सारे शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन आते हैं।
महिलाओं में मीनोपॉज होना कोई बीमारी नहीं होती है। जब महिलाओं के शरीर में स्वाभाविक रूप से प्रजनन हार्मोन एस्ट्रोजेन (Estrogen) में गिरावट आने लगती है तो मीनोपॉज की अवस्था आती है। आज के खानपान में अधिक बदलाव होन के कारण जैसे ही आप अपने 30 की उम्र में(उत्तरार्ध) में आते हैं, तो आपका अंडाशय एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन बनाना कम कर देते हैं। जिससे आपकी प्रजनन क्षमता में गिरावट आती है। जब आप 40 की उम्र के पड़ाव में पहुंचती हैं तो आपके मासिक धर्म लंबे या छोटे, भारी या हल्के और कम या ज्यादा हो सकते हैं, और फिर कुछ वर्षों के अंतराल के बाद आपके अंडाशय अंडे निषेचित करना बंद कर देते हैं। यही स्थिति मीनोपॉज कहलाती है। आशा आयुर्वेदा की फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा कहती है कि मीनोपॉज होते समय महिलाओं में बहुत प्रकार के हार्मोन परिवतर्न होते है, जिसके कारण उन्हें स्वास्थ्य से संबंधित कई समस्याएं होने की संभावना होती है। ऐसे समय में घर-परिवार के लोगों को महिला की सेहत का ख्याल रखना चाहिए तथा अधिक परेशानी महसूस होने पर किसी अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेनी चाहिए।
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रजोनिवृत्ति के लक्षण (Symptoms of Menopause in Hindi)
मीनोपॉज की अवस्था में अधिकांश महिलाओं को स्वास्थ्य से जुड़ी अलग-अलग परेशानियां हो सकती हैं।
- मीनोपॉज में माहवारी अनियमित हो जाती है या फिर बिल्कुल भी नहीं आती है।
- महिलाओं को हॉट फ्लाश (Hot flush) जैसा कुछ अहसास होता है अर्थात इसमें महिलाओं को योनि क्षेत्र में जलन महसूस हो सकती है।
- नींद न आना भी मीनोपॉज का एक लक्षण है।
- मूड ठीक न रहना और स्वभाव में चिड़चिडापन होना।
- सामान्य मौसम में भी अत्यधिक गर्मी लगना और पूरे शरीर में भारी मात्रा में पसीना आना।
- बार-बार पेशाब लगना भी रजोनिवृत्ति का लक्षण है।
- मनोदशा में बदलाव।
- थकान तथा सिरदर्द जैसे लक्षण।
- वजन बढ़ना और धीमा मेटाबॉलिज्म
- पतले बाल और रूखी त्वचा
- स्तन में शिथिलता आना आदि।
महिलाओं में क्यों होती है रजोनिवृत्ति? (Causes of Menopause in Women)
- महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ उनके सेक्स हार्मोन में कमी आने लगती है। सेक्स हार्मोन की कमी के कारण महिलाओं का रिप्रोडक्टिव सिस्टम (Reproductive system) ठीक से काम नही करता है, जिसके कारण महिलाओं की माहवारी बंद हो जाती है और वह रजोनिवृत्ति की अवस्था को प्राप्त कर लेती है।
- उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में फॉलिकल्स की कमी हो जाती है जिसके कारण मीनोपॉज की स्थिति बन जाती है।
- महिलाओं में मीनोपॉज का मुख्य कारण है माहवारी का न आना।
- महिलाओं के हार्मोन में परिवर्तन।
आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार महिलाओं में मीनोपॉज की संभावित उम्र लगभग 45 वर्ष के लेकर 50 वर्ष के बीच होती है। परंतु जिन महिलाओं को किसी बीमारी या अन्य कारणवश अंडाशय या गर्भाशय को निकलवाना पड़ता है तो उन्हें समय से पूर्व ही रजोनिवृत्ति हो जाती है।
मीनोपॉज का पता कैसे करें? (Tests to Diagnose Menopause)
मीनोपॉज की जानकारी का सबसे पहला तरीका तो यही है कि यदि माहवारी बंद हो जाती है तो अनुमान लगाया जा सकता है कि मीनोपॉज की अवस्था आ गई। परंतु यदि ऐसा कम उम्र यानि मीनोपॉज की उम्र (40 वर्ष के पूर्व) होता है तो डॉक्टरों से परामर्श जरुर करें। डॉक्टर मीनोपॉज की स्थिति का पता लगने के लिए कुछ टेस्ट की मदद लेते हैं जो कि इस प्रकार हैं –
- थायराइड फंक्शन टेस्ट (Thyroid function test)
- ब्लड लिपिड प्रोफाइल (Blood lipid profile)
- लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver function tests)
- किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney function tests)
- एएमएच टेस्टोस्टेरॉन, प्रोजेस्टेरॉन, प्रोलैक्टिन आदि टेस्ट (AMH Testosterone, progesterone, prolactin etc.)
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड (Pelvic Ultrasound)
मीनोपॉज का आयुर्वेदिक उपचार (Menopause and Ayurvedic Treatment)
मीनोपॉज के दौरान सबसे पहले तो महिलाओं को अपने स्वास्थ्य की बहुत अच्छे तरीके से देखभाल करनी चाहिए। मीनोपॉज की अवस्था के दौरान महिलाओं को कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से होकर गुजरना होता है । ऐसे में आयुर्वेद में कुछ उपचार एवं हर्बल औषधि, काढ़े-क्वाथ हैं जिनके सेवन से आप मीनोपॉज की समस्या से निजात पा सकती हैं। रजोनिवृत्ति वात-पित्त दोष के संतुलन से संबंधित है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से उचित अहार, विहार और जीवन शैली में संशोधन के माध्यम से शरीर को मजबूत किया जा सकता है। आयुर्वेद में कुछ रसायन जैसे कि ब्रह्मरासयन, च्यवनप्राश, आमलकी रसायन, हरितिकादि रसायन एवं पंचकर्म थेरेपी के द्वारा शरीर का कायाकल्प करके मीनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं से निजात पाया जा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार मीनोपॉज में क्या करें (Ayurvedic Tips to Get Rid of Menopause Problems)
- मीनोपॉज के दौरान महिलओं को हॉटफ़्लैश (Hot Flushes) की समस्या होती है इससे बचने के लिए महिलाओं को मसालेदार एवं तेलयुक्त, तीखे भोजन से बचना चाहिए।
- मीनोपॉज के दौरान इंफेक्शन (infection) का खतरा अधिक बढ़ जाता है । इस संक्रमण को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
- मीनोपॉज की अवस्था में आयुर्वेद कहता है कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कि भिण्डी, आलू, ग्वारफली, मटर,चना, तथा गोभी का सेवन नही करना चाहिए।
- धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
- अपने भोजन में कैफीन युक्त पदार्थों को बिल्कुल भी जगह न दें।
योग एवं प्राणायाम के द्वारा मीनोपॉज की समस्या का समाधान (Yoga and Pranayama to get Rid of Menopause Problems)
योग एवं प्राणायाम की मदद से आप मीनोपॉज की समस्या का समाधान कर सकती हैं। ऐसे में आप सुखासन योग का सहारा ले सकती हैं जो आपकी मीनोपॉज की समस्या को कम कर सकता है। इस योग के द्वारा आपको मानसिक तथा शारीरिक रुप से आराम मिलेगा तथा शांति का अनुभव होगा। ताड़ासन के माध्यम से काफी हद तक इससे निजात मिल जाती है। इसके अलावा उत्तानासन भी है जो आपको मीनोपॉज की समस्या से बचाता है।
ऊपर बताये गये सभी उपाय एवं उपचार आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से हुई बातचीत के दौरान प्राप्त हुए हैं।
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