हाई ब्लड प्रेशर के कारण खो सकती है आपकी याददाश्त, जानें क्यों?

हाई ब्लड प्रेशर यानि कि उच्च रक्तचाप एक ऐसी समस्या है जिसकी चपेट में लोग सबसे ज्यादा आते हैं।

Rashmi Upadhyay
Written by: Rashmi UpadhyayUpdated at: Feb 13, 2018 12:20 IST
हाई ब्लड प्रेशर के कारण खो सकती है आपकी याददाश्त, जानें क्यों?

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हाई ब्लड प्रेशर यानि कि उच्च रक्तचाप एक ऐसी समस्या है जिसकी चपेट में लोग सबसे ज्यादा आते हैं। इस रोग को दूसरे शब्दों में हाईपरटेंशन भी कहा जाता है। हाई ब्लड-प्रेशर कोई मामूली रोग नहीं बल्कि घातक बीमारियों में से एक है। आज के समय में छोटे बच्चे से लेकर बड़े तक सभी इस समस्या की चपेट में आ रहे हैं। आज की भाग दौड़ वाली जिन्दगी में घर हो या बाहर, चिन्ता, परेशानी व गुस्सा हमारे दिल दिमाग व शरीर के दूसरे भागों को भी प्रभावित करता है।

हमारा हृदय हमारे शरीर में रक्त को प्रवाहित करता है। स्‍वच्‍छ रक्त आर्टरी से शरीर के दूसरे भागों में जाता है और शरीर के दूसरे भागों से दूषित रक्‍त हृदय में वापस जाता है। ब्लड प्रेशर खून को पम्प करने की इसी प्रक्रिया को कहते हैं। ब्लड प्रेशर इसीलिए कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक नार्मल प्रक्रिया है। लेकिन जब किसी कारणवश यह प्रेशर कम या ज़्यादा होता है, तो इसे हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर कहते हैं। आज लोगों में हाइपरटेंशन एक बहुत ही आम समस्‍या है। यह बिना किसी चेतावनी के होती है इसलिए इसे साइलेंट किलर कहते है।

मस्तिष्क पर पड़ता है बुरा असर

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हाई ब्लड प्रेशर होने के दो कारण होते हैं। एक शारीरिक गतिविधि और दूसरी मानसिक गतिविधि। हाइपरटेंशन जब भी होता है, तो उसका सीधा असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है। इससे ना सिर्फ सिर में तेल दर्द शुरू होता है बल्कि हाई ब्लड-प्रेशर में रोगी की याददाश्त भी कमजोर होने की संभावना रहती है। जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। इसमें समय के साथ-साथ रोगी के मस्तिष्क में खून की आपूर्ति और कम हो जाती है और व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति घटती जाती है। अगर छोटी उम्र में कोई इंसान उच्च रक्तचाप की गिरफ्त में है तो बुढ़ापे में अल्जाइमर होने के 50 प्रतिशत चांस बढ़ जाते हैं।

अगर ब्लड प्रेशर 200-250 के ऊपर जाता है, तो इससे ब्रेन हैमरेज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। मस्तिष्क के बाद हाई ब्लड प्रेशर दिल, आंखें, दिमाग और किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है। हाइपरटेंशन में आंखों का रेटिना गलने लगता है, जिसकी वजह से लोगों को दिखाई देना बंद हो जाता है। इस समस्या को रेटिनोपैथी कहते हैं। वहीं किडनी में नेफ्रोपैथी की समस्या होने लगती है। हार्ट की अगर बात करें, तो हाइपरटेंशन का बुरा प्रभाव दिल पर भी पड़ता है। इस दौरान हार्ट रिलेक्स नहीं हो पाता है और कोरोनरी आर्टरीज में कोलेस्ट्रोल जमने के कारण हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है।

क्या है इसका बचाव

  • हाई ब्लड प्रेशर वाले यदि खानपान में संयम बरतें, तो वे दिल के दौरे, लकवा, किडनी की बीमारी आदि से बचाव कर सकते हैं।
  • असहज महसूस करने पर अपने ब्लड प्रेशर को चेक करें या करवाएं
  • हाई ब्लड प्रेशर वालों को खाने में नमक की मात्रा 3.4 ग्राम प्रतिदिन लेनी चाहिए यानी केवल आहार में आधा चम्मच नमक (छोटा चम्मच) कम कर देने से ही हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
  • कड़ाके की ठंड में हाई ब्लड प्रेशर वाले अपने डॉक्टर से परामर्श लें। मौसम को देखते हुए डॉक्टर आपकी दवा की डोज को नए सिरे से निर्धारित कर सकते हैं।
  • सर्दियों में अपने तन को ऊनी वस्त्रों से ढककर रखें।
  • हाई ब्लड प्रेशर का स्थाई इलाज नहीं है। हां, इसे खानपान में सुधार,स्वस्थ जीवन-शैली पर अमल कर और दवाओं द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। जब एक बार पता चल जाए कि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है, तो डॉक्टर से इसकी 
  • नियमित जांच करवानी चाहिए। डॉक्टर जो दवा सुझाएं, उन्हें नियमित रूप से लें।
  • हाई ब्लड प्रेशर की अवस्था में दो बातों पर ध्यान देना आवश्यक हो जाता है। धूम्रपान की लत और कोलेस्ट्रॉल के स्तर का बढ़ना दिल के दौरे का कारण बनता है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को धूम्रपान छोड़ देना चाहिए।
  • मानसिक तनाव भी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का एक बड़ा कारण है। इसलिए तनाव को स्वयं पर हावी न होने दें।

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