लोग कई कारणों से डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। किसी का गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप होने पर तो कोई ऑफिस से फायर होने पर... डिप्रेशन के कई कारण हो सकते हैं। वहीं कई केस में उन्हें इसका पता भी नहीं चलता है कि वो मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं। लोगों को लगता है कि वो दुख के दौर से गुजर रहा है, दोस्तों व किसी खास से बात कर लेगा तो उसकी समस्या खत्म हो जाएगी। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है। जमशेदपुर के मनोरोग विशेषज्ञ बिष्टुपुर के टीएमएच अस्पताल के मनोरोग विभाग के विशेषज्ञ रहे डॉ. संजय अग्रवाल बताते हैं कि डिप्रेशन के मरीजों को कई बार उपचार की जरुरत होती है लेकिन वो समझ ही नहीं पाते हैं कि उनका उपचार किया जाए। तो आइए इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि डिप्रेशन के मरीजों को इलाज की कब जरुरत पड़ती है। उनका इलाज कैसे किया जाता है। तो इस बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें ये आर्टिकल।
कई लोगों को लगता ही नहीं कि वो बीमार हैं
डॉक्टर संजय बताते हैं कि मेरे पास हाल ही में एक मरीज आया उसने कहा कि उसका हाल ही में 7 साल पुराना रिलेशनशिप में ब्रेकअप हुआ है। उसे मन उदास रहना, काम करने में मन न लगना, नींद खराब होना, रोना आना जैसे लक्षण आ रहे थे। मैंने उसे इलाज के बारे में परामर्श दिया, जैसे दवा का सेवन व नियमित काउंसतलिंग आदि लेकर वो स्वस्थ हो सकते हैं। लेकिन उनका यह ही मानना था कि वो अपने परिचित, जानने वालों व दोस्तों से इस बारे में बात कर समस्या से निजात पा सकते हैं। उनको ये लगता ही नहीं है कि वो बीमार भी हैं। ये डिप्रेशन नहीं है। ऐसा इनके साथ ही नहीं बल्कि जिनका हाल ही में तलाक हुआ रहता है या फिर जिनकी नौकरी चली जाती है वो उन कारणों से डिप्रेशन में चले जाते हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि ये डिप्रेशन नहीं बल्कि एक सामान्य प्रक्रिया है।
डिप्रेशन के शिकार मरीजों में दिखते हैं कुछ लक्षण
एक्सपर्ट बताते हैं कि जो व्यक्ति इस बीमारी से ग्रसित होता है उसमें कुछ लक्षण दिखते हैं। जैसे मन उदास रहना, काम करने में मन न लगना, नींद खराब होना, रोना आना जैसे लक्षण आ सकते हैं। ऐसे में मरीजों को मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
क्लीनिकल डिप्रेशन हो चुका है तो सिर्फ बात करने से खत्म नहीं होती समस्या
डॉक्टर बताते हैं कि कई मरीज ये बताते हैं कि जब वो अपनी समस्या के बारे में दोस्तों व अन्य से बात करते हैं तो उन्हें बात शेयर करके अच्छा लगता है। लेकिन समस्या खत्म नहीं होती। क्योंकि वो समस्या इस समय तक क्लीनिकल डिप्रेशन का रूप ले चुकी होती है। ऐसे में सिर्फ बात करने से ही समस्या का हल नहीं होता है।
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अगर डिप्रेशन के लक्षण मिल रहे है तो वो है बीमारी
किसी भी कारण से चाहे वो फाइनेंशियल लॉस हो या फिर ब्रेकअप ... या फिर कुछ और। व्यक्ति में अगर डिप्रेशन के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो वो एक बीमारी है। डॉक्टर बताते हैं कि डिप्रेशन की बीमारी का इलाज संभव है। कुछ साल पहले तक डॉक्टरों ने भी डिप्रेशन को दो भाग में बांटा था। पहला रिएक्टिव डिप्रेशन, जिसमें लाइफ में किसी खराब घटना के बाद यदि जीवन में तनाव आ रहा है तो उस घटना के कारण होने वाला ये रिएक्शन है। इसलिए इसका नाम रिएक्टिव डिप्रेशन रखा। ये दिमाग से जुड़ा विकार है, प्रारंभिक तौर पर मरीज की काउंसलिंग कर समस्या से निजात दिलाया जा सकता है। दूसरे डिप्रेशन को एंडोजिनस डिप्रेशन कहा जाता था। इसमें लाइफ में किसी प्रकार के दुखद मोड़ के आए बिना ही व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता था। अंदरुनी प्रकार का डिप्रेशन है और इसका इलाज दवा से होगा। लेकिन जैसे जैसे सांइस ने तरक्की की, नए शोध हुए तो पता चला कि दोनों प्रकार के डिप्रेशन के लक्षण भी समान हैं, दवा भी लगभग समान ही दी जाती है। इनमें थेरेपिकल रिस्पांस भी एक ही है। इसके बाद डिप्रेशन को एक माना गया। चाहे वो किसी घटना के बाद आए या फिर बिना किसी घटना के घटे। डिप्रेशन एक ही है।
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क्या है डिप्रेशन का सही अर्थ
डॉक्टर बताते हैं कि आज के समय में डिप्रेशन को परिभाषित किया जाए तो हमारा दिमाग कुछ प्रकार के तनाव को अपने आप ही कम करता है, मान लें कि किसी के जीवन में ब्रेकअप हुआ है। तो दिमाग की कोशिश यही होती है कि उसे संभाल लिया जाए। लेकिन दिमाग के परे जाकर तनाव होने लगे तो दिमाग भी उसे संभाल नहीं पाता। यदि दिमाग की क्षमता पार हो जाए तो बीमारी बन जाए तो उसका इलाज सही तरीके से करना जरूरी है, चाहे कारण कुछ भी क्यों न हो।
बीमारी के लक्षण दिखे तो लें डॉक्टरी सलाह
यदि आपकी लाइफ में कोई समस्या चल रही है। जैसे आपकी बॉस से नहीं बनती, या फिर आपको स्कूल में दिक्कत है, नंबर कम आते हैं, पति-पत्नी में विवाद-ब्रेकअफ, बहू सास में तकरार आदि से आप टेंशन में हैं तो... चाहे कुछ भी कारण हैं। यदि आपको अपने शरीर में डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं तो आपको इलाज करवाना चाहिए। कई केस में लोगों की समस्या काफी छोटी होती है, लेकिन डिप्रेशन उस समस्या को बढ़ा देता है। ऐसे में ट्रीटमेंट कराने से जो समस्या बढ़ी है उसे खत्म कर आपको प्रारंभिक स्टेज में ले जाने में मदद करता है।
डिप्रेशन होने पर व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता है
डॉक्टर बताते हैं कि यदि कोई इस बीमारी का शिकार हो जाए तो वो सही-सही निर्णय नहीं ले पाता है। उसके मन में ख्याल आते रहते हैं, जिससे वो और डिप्रेशन की ओर बढ़ते जाता है। यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो डॉक्टरी सलाह लें। क्योंकि सही सलाह लेकर ही आप इस समस्या से बाहर निकल पाएंगे।
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