इम्‍यून सिस्‍टम - Immune system in Hindi

इम्‍यून सिस्‍टम (Immune system), जिसे हिंदी भाषा में प्रतिरक्षा प्रणाली कहते हैं हमारे शरीर का एक ऐसा अंग है, जो संक्रमण से हमारी शरीर की रक्षा करता है। इम्‍यून सिस्‍टम हमारे शरीर पर हमला करने वाले कीटाणुओं को मारता है और हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है। दरअसल जब भी हमारे शरीर पर कोई कीटाणु, संक्रमण हमला करता है तो शरीर की रक्षा के लिए कई कोशिकाएं और अंग एक साथ काम करना शुरू कर देते हैं। आखिर क्या है इम्यून सिस्टम, किन चीजों से बना, कैसे काम करता है और इसे कैसे दुरुस्त रखा जा सकता है आप इस पेज पर इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

क्या होता है इम्यून सिस्टम   ( What Is Immune System)
इम्यून सिस्टम कोशिकाओं (cells) और प्रोटीन का एक कॉम्पलेक्स नेटवर्क है, जो शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करता है। इम्यून सिस्टम हर उस रोगाणु (माइक्रोब) का रिकॉर्ड रखती है जिसे उसने पहले कभी भी नष्ट किया होता है और अगर वह फिर से जब भी शरीर में प्रवेश करता है तो इम्यून सिस्टम उस माइक्रोब की जल्दी से पहचान कर नष्ट कर देता है। इम्यून सिस्टम में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी एलर्जी रोगों, इम्यूनोडिफीसिअन्सी (संक्रमण से बचाव करने में इम्यून सिस्टम का फेल हो जाना) और ऑटोइम्यून विकारों को कारण बन सकती है। इम्यून सिस्टम विशेष अंगों, कोशिकाओं और रसायनों से बना होता है, जो संक्रमण (रोगाणुओं) से लड़ते हैं।

इम्यून सिस्टम की भूमिका (Role of the Immune System)

इम्यून सिस्टम हमारे शरीर के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि दिल। इम्यून सिस्टम की हमारे शरीर में भूमिका कुछ इस प्रकार है दरअसल इम्यून सिस्टम शरीर के भीतर संरचनाओं और प्रक्रियाओं का एक संग्रह है, जो हमें बीमारी या अन्य संभावित रूप से हानिकारक बाहरी संक्रमण से बचाने का काम करता है। जब हमारा इम्यून सिस्टम ठीक से काम करता है तो ये विभिन्न प्रकार के खतरों की पहचान कर उन्हें शरीर के स्वस्थ टिश्यू से अलग करता है, जिससे हम बीमारियों से दूर रहते हैं। शरीर को होने वाले विभिन्न खतरों में वायरस, बैक्टीरिया और परजीवी शामिल हैं। इम्यून सिस्टम हर उस सूक्ष्म जीव यानी की माइक्रोब का रिकॉर्ड रखता है जिसे वह नष्ट करता जाता है। जिस वजह से इम्यून सिस्टम इसे याद रख पाता है उसे स्मृति कोशिका (memory cells) कहते हैं और ये एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका (बी- और टी-लिम्फोसाइट्स) होती है।  इसका काम ये होता है कि जैसे ही कोई माइक्रोब हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो ये उसकी जल्दी से पहचान कर उसे नष्ट करने का काम करती है। अगर ये सही से काम नहीं करेगा तो आपके शरीर में प्रवेश होने वाले मााइक्रोब की संख्या बढ़ जाएगी और आप खुद को बीमार महसूस करने लगेंगे। फ्लू और सामान्य जुकाम जैसे कुछ संक्रमण आपको कई बार परेशान करते हैं क्योंकि एक ही प्रकार के वायरस के कई अलग-अलग रूप होते हैं, जो बीमारियों का कारण बन सकते हैं। किसी एक वायरस से होने वाली सर्दी या फ्लू आपको दूसरों से बचाव प्रदान नहीं कर सकती है।

इम्यून सिस्टम के मुख्य अंग हैंः

  • सफेद रक्त कोशिकाएं (White blood cells)
    सफेद रक्त कोशिकाएं आपके इम्यून सिस्टम का सबसे मुख्य अंग है। ये आपके बोन मैरो (bone marrow), जिसे हिंदी में अस्थि मज्जा कहते हैं, में बनती हैं और लसीका प्रणाली (lymphatic system)का हिस्सा होती हैं। सफेद रक्त कोशिकाएं हमारे पूरे शरीर में रक्त और टिश्यू से गुजरती हैं और बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और फंगी जैसे बाहरी आक्रमणकारियों (रोगाणुओं) की तलाश करती हैं। जब ये कोशिकाएं किसी भी बाहरी चीज को ढूंढ लेती हैं तो ये तुरंत इम्यून अटैक शुरू कर देती हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं में लिम्फोसाइट्स (जैसे बी-कोशिकाएं, टी-कोशिकाएं और नेचुरल किलर) और कई अन्य प्रकार के इम्यून सेल शामिल होते हैं।
  • एंटीबॉडी (Antibodies)
    एंटीबॉडी शरीर को रोगाणुओं या विषाक्त पदार्थों (जहर) से लड़ने में मदद करते हैं,  जो हमारा शरीर पैदा करता है। एंटीबॉडीज माइक्रोब की सतह पर एंटीजन नाम के पदार्थों या फिर उनके द्वारा उत्पादित रसायनों की पहचान कर उन्हें नष्ट करने का काम करता है। एंटीबॉडी शरीर में इन एंटीजन को चिह्नित कर उन्हें नष्ट करता हैं। इस हमले में कई कोशिकाएं, प्रोटीन और रसायन शामिल होते हैं।
  • पूरक प्रणाली (Complement system)
    ये कॉम्पलिमेंट सिस्टम उन प्रोटीनों से बना होता है, जिनके कार्य एंटीबॉडी के साथ मिलकर किए जाते हैं।
  • लसीका प्रणाली (Lymphatic system)
    लसीका प्रणाली हमारे पूरे शरीर में फैली नाजुक ट्यूबों का एक नेटवर्क है। लसीका प्रणाली के मुख्य कार्य हैः
    शरीर में द्रव के स्तर को प्रबंधित करना।
    बैक्टीरिया के प्रति प्रतिक्रिया करना।
    कैंसर कोशिकाओं से लड़ना।
    सेल के उत्पादन से लड़ना, जिसके परिणामस्वरूप रोग या विकार होते हैं।
    आंत से हमारी डाइट में मिलने वाले फैट के छोटे हिस्से को अवशोषित करना।
    लसीका प्रणाली, लिम्फ नोड्स (जिसे लिम्फ ग्लैंड भी कहते हैं, लिम्फ वाहिकाओं और सफेद रक्त कोशिकाओं से बनती है। लिम्फ नोड्स मााइक्रोब को फंसाने का काम करती है। लिम्फ वाहिकाएं लिम्फ को ले जाने का काम करती हैं। लिम्फ एक प्रकार का रंगहीन तरल पदार्थ है, जो शरीर के टिश्यू को नहलाने का काम करती है और इसमें संक्रमण से लड़ने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं भी होती है।
  • स्पलीन (Spleen)
    स्पलीन एक प्रकार का रक्त शोधक अंग है,  जो रोगाणुओं को हटाता है और पुरानी या क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता है। यही कारण है कि इसे इम्यून सिस्टम (एंटीबॉडी और लिम्फोसाइटों सहित) का रोग से लड़ने वाले घटक भी बनाता है।
  • बोन मैरो (Bone marrow)
    बोन मैरो हमारी हड्डियों के अंदर पाया जाने वाला एक प्रकार का स्पंजी टिश्यू है। यह लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है, जो हमारे में शरीर में ऑक्सीजन ले जाने का काम करते करते हैं।
  • थाइमस (Thymus)
    थाइमस हमारे रक्त की मात्रा को फ़िल्टर और मॉनिटर करता है। यह टी-लिम्फोसाइट्स नाम की सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है। इम्यून सिस्टम का ये अंग शरीर के अन्य रोगाणुओं के खिलाफ बचाव करता है। साथ ही ये इम्यून सिस्टम के साथ-साथ शरीर में रोगाणुओं से बचाव के कई अन्य तरीके हैं, जैसे:
    त्वचा (skin)- ये एक प्रकार का वॉटरप्रूफ बैरियर है, जो बैक्टीरिया को मारने वाले गुणों के साथ तेल को शरीर से निकालने का काम करता है।
    फेफड़े - फेफड़े में जमा (कफ) बाहरी कणों को फंसाता है, और ऊपर की ओर खींचता हैं, जिससे खांसी या छींक के साथ यह बाहर निकल सकता है।
    पाचन तंत्र - कफ के बाहरी परत में एंटीबॉडी होते हैं और पेट में मौजूद एसिड अधिकांश रोगाणुओं को मार सकता है।
    अन्य बचाव - स्किन ऑयल, लार और आंसू जैसे शरीर के तरल पदार्थ में एंटी-बैक्टीरियल एंजाइम होते हैं, जो संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
  • बुखार इम्युन सिस्टम की एक प्रतिक्रिया (Fever is an immune system response)
    शरीर के तापमान में वृद्धि या बुखार कुछ संक्रमणों के कारण हो सकता है। यह वास्तव में एक इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया है। शरीर के तापमान में वृद्धि कुछ रोगाणुओं को मार सकती है। बुखार भी शरीर के रिपेयर प्रोसेस को बढ़ा सकता है।

इम्यून सिस्टम के आम विकार (Common disorders of the immune system)

लोगों के इम्यून सिस्टम का जरूरत से ज्यादा सक्रिय या कम सक्रिय होना आम बात है।

इम्यून सिस्टम की जरूरत से ज्यादा सक्रियता कई रूप ले सकती है, जिसमें निम्नलिखित चीजें शामिल हैं:
एलर्जी रोग - इस स्थिति में इम्यून सिस्टम एलर्जी के प्रति अत्यधिक मजबूत प्रतिक्रिया करता है। एलर्जी की बीमारी बहुत आम है। ये किसी भी खाद्य पदार्थ, दवा या कीड़े के काटने, एनाफिलेक्सिस (जीवन के लिए घातक एलर्जी), हाई फीवर (एलर्जिक राइनाइटिस), साइनस रोग, अस्थमा, पित्ती (पित्ती) और एक्जिमा जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों से एलर्जी शामिल हैं । इस स्थिति में हमारा इम्यून सिस्टम शरीर के सामान्य घटकों के खिलाफ प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। ऑटोइम्यून बीमारियां आम से लेकर दुर्लभ तक हो सकती हैं। इनमें मल्टीपल सोरोसिस, ऑटोइम्यून थायराइड रोग, टाइप 1 डाटबिटीज,ल्यूपस, रुमेटाइट अर्थराइटिस और सिस्टेमेटिक वास्कुलिटिस शामिल हैं।

इम्युन सिस्टम की कम सक्रियता, जिसे इम्यूनोडेफिशिएंसी भी कहते हैं वह इन कारणों सो हो सकती हैः
वंशागत - इन स्थितियों के उदाहरणों में प्राइमरी इम्यूनोडेफिशियेंसी रोग जैसे कॉमन वेरियेबल इम्यूनोडेफिशियेंसी (सीवीआईडी), एक्स-लिंक्ड सीवर कंबाइंड इम्यूनोडेफिशियेंसी (एससीआईडी) शामिल हैं और कभी कभार किसी चिकित्सा उपचार के परिणाम  स्वरूप भी ये समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसा एचआईवी / एड्स या कुछ प्रकार के कैंसर या फिर अन्य रोगों द्वारा कीमोथेरेपी की दवाईयां लेने से भी हो सकता है।  एक अंडरएक्टिव इम्यून सिस्टम सही ढंग से काम नहीं करता है और लोगों को संक्रमण की चपेट में ले आता है। यह गंभीर मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकता है।

इम्यून सिस्टम रोग (Diseases of the immune system)

अगर इम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारियों को बहुत व्यापक रूप से परिभाषित किया जाए तो एलर्जी संबंधी बीमारियां जैसे एलर्जी राइनाइटिस (allergic rhinitis), अस्थमा और एक्जिमा बहुत ही आम हैं। अस्थमा और एलर्जी भी इम्यून सिस्टम में शामिल होती है। कुछ  स्थितियों में इन रोगों को गलत मानकर नतदरअंदाज किया जाता है और ये हमारे लिए घातक हो सकती है। इम्यूनिटी सिसटम के अन्य विकारों में ल्यूपस और रुमेटाइइड अर्थराइटिस जैसे ऑटोइम्यून रोग शामिल हैं। एनआईएच के अनुसार,इम्यूनिटी विकार से ऑटोइम्यून रोग, सूजन संबंधी बीमारियां और कैंसर भी हो सकता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर मेडिकल सेंटर के अनुसार,  इम्यूनोडिफिशियेंसी तब होती है जब इम्यून सिस्टम सामान्य रूप से मजबूत नहीं होता है। इम्यून सिस्टम के कमजोर होने के परिणामस्वरूप जानलेवा संक्रमण हो सकता है। मनुष्यों में इम्यूनोडेफिशिंयसी या तो एक आनुवंशिक बीमारी के परिणामवरूप होती है या फिर एचआईवी / एड्स, और इम्यूनोसप्रेसेरिव दवा के उपयोग से हो सकती है।

इम्यूनिटी सिस्टम रोगों का निदान और उपचार (Diagnosis and treatment of immune system diseases)

मेयो क्लीनिक के मुताबिक, भले ही इम्यूनिटी रोगों के लक्षण अलग-अलग हों लेकिन बुखार और थकान इसके सामान्य लक्षण हैं। ये इस बात का संकेत है कि हमारा इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है। ज्यादातर समय कमजोर इम्यून की जांच रक्त परीक्षणों से की जाती है, जिसमें इम्यून एलीमेंट के लेवल या उनकी कार्यात्मक गतिविधि को मापा जाता है। वहीं एलर्जी के लक्षणों का पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण या एलर्जी त्वचा परीक्षण का उपयोग कर एलर्जी की स्थिति का पता लगाया जाता है। ओवरएक्टिव या ऑटोइम्यून स्थिति में इम्यून प्रतिक्रिया को कम करने वाली दवा जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids)बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। कुछ कमजोर इम्यूनिटी वाली स्थिति में उपचार कमी वाले तत्वों को पूरा कर सकता है। इम्यून सिस्टम रोग के उपचार में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (monoclonal antibodies) भी शामिल हो सकती हैं। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी एक प्रकार का प्रोटीन है, जिसे लैब में बनाया जाता है जो शरीर में पदार्थों को बांधे रखता है। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, कैंसर के इलाज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग किया जा रहा है। ये दवाओं, विषाक्त पदार्थों या रेडियोधर्मी पदार्थों को सीधे कैंसर कोशिकाओं में ले जा सकती है।

टीकाकरण (Immunisation)

टीकाकरण शरीर की प्राकृतिक इम्यून प्रतिक्रिया की नकल करने का काम करता है। टीकाकरण में एक वैक्सीन (जो कि एक विशेष रूप से उपचारित वायरस, जीवाणु या विष की थोड़ी मात्रा होती है) को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है और शरीर इसके लिए एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है। जिस व्यक्ति को टीका लगाया गया है अगर वह वास्तविक रूप से किसी वायरस, जीवाणु या विष के संपर्क में आता है, तो वह बीमार नहीं पड़ेंगा क्योंकि उसका शरीर इन बाहरी आक्रमणकारियों की पहचान कर लेगा और उसे नष्ट कर देगा। खसरा और टेटनस सहित कई बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण उपलब्ध हैं। आपके लिए आवश्यक टीका आपके स्वास्थ्य, आयु, जीवनशैली और व्यवसाय द्वारा तय किया जा सकता है।

स्वास्थ्य से जुड़े टीकेः कुछ स्वास्थ्य स्थितियां या कारक आपको वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, समय से पहले जन्म, अस्थमा, मधुमेह, हृदय, फेफड़े, स्पलीन या किडनी से जुड़ी बीमारियां, डाउन सिंड्रोम और एचआईवी जैसी स्वास्थ्य स्थितियों में आप टीके से अतिरिक्त या अधिक इम्यून लाभ उठा सकते हैं। आपके लिए इस बात को जानना बेहद जरूरी है कि आपको अलग-अलग उम्र में अलग-अलग वैक्सीन-निवारक रोगों से सुरक्षा की आवश्यकता होती है। डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए अधिकांश टीके सरकारी अस्पातलों में मुफ्त या बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध है। आपके जीवनशैली विकल्प आपके टीकाकरण आवश्यकताओं पर प्रभाव डाल सकते हैं। कुछ निश्चित स्थानों पर विदेश यात्रा करना, फैमिली प्लानिंग, यौन क्रिया, धूम्रपान, की स्थिति में आपको बार-बार टीकाकरण की जरूत पड़ सकती है और आप इससे फायदा भी ले सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप बुजुर्ग की देखभाल, बच्चों की देखभाल, हेल्थकेयर, आपातकालीन सेवाओं या सीवरेज की मरम्मत और रखरखाव में काम करते हैं, तो आप अपने डॉक्टर से अपने टीकाकरण की जरूरतों पर चर्चा करें।

इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए तैयार कैसे करें (Prepare to Strengthen Your Immune System)

देश-दुनिया में निरंतर अंतराल पर संक्रमण फैलते रहते हैं जिसके कारण कई लोग स्वस्थ रहने और स्वस्थ इम्यून सिस्टम बनाए रखने को लेकर चिंतित रहते हैं। मजबूत इम्यून सिस्टम से आपके शरीर को लाभ हो सकता है और वायरस, बैक्टीरिया और अन्य रोगजनकों के खिलाफ सुरक्षा बढ़ती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बानएं और अपने शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए मजबूत बनाएं।

इम्यूनिटी बूस्ट करने के टिप्स (Immunity Boosting Tips)

  • तनाव आपके लिए है बुरा
    ज्यादा वक्त तक तनाव में रहना आपके इम्यून सिस्टम पर दबाव डालता है और कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है। यह आपके शरीर में कैटेकोलामाइन नाम के हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है। तनावग्रस्त रहने से हानिकारक टी कोशिकाओं का स्तर बढ़ जाता है, जो इम्यून सिस्टम पर दबाव बनाना शुरू कर देती हैं। जबआपके इम्यून सिस्टम का कोई भी अंग बिगड़ता है तो आपको वायरल बीमारियों की संभावना अधिक होती है, जिसमें श्वसन संबंधी स्थितियां जैसे सर्दी, फ्लू और संक्रमण शामिल हैं।
  • क्या पालतू जानवर से बढ़ती है इम्यूनिटी
    कुछ अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि जिन लोगों के पास पालतू जानवर होते हैं उनका ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का स्तर जानवर नहीं पालने वाले लोगों की तुलना में कम होता है। जानवर पालना बेहतर समग्र हृदय स्वास्थ्य और हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। दरअसल कुत्ता पालने वाले लोग हर रोज बाहर घूमने जाते हैं और कई तरह की शारीरिक गतिविधियां करते हैं, जिससे वह बेहतर स्वास्थ्य का आनंद ले सकते हैं।  एक अध्ययन में ये भी सामने आया है कि बचपन में जानवर पालने वाले लोगों में एलर्जी की संभावना काफी कम होती है।
  • पॉजिटिव एटीएट्यूड से दुरुस्त रहती है इम्यूनिटी
    कानून के छात्रों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि आशावादी महसूस करने से उनकी इम्यूनिटी मजबूत रहती है। आशावादी रहना आपके लिए काम कर सकता है। दयालुपन का अभ्यास करें और कम से कम तीन चीजों के बारे में सोचें जो आप हर दिन अच्छी करनी चाहते हैं। आप हमेशा अपने आस-पास की घटनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, लेकिन आप हमेशा यह तय कर सकते हैं कि उनपर आपकी प्रतिक्रिया कैसे होगी। अच्छे परिणाम की संभावना बढ़ाने और अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए एक अच्छे रवैये के साथ प्रतिक्रिया दें।
  • हंसने से बढ़ती है इम्यूनिटी
    स्वस्थ पुरुषों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि एक हास्य फिल्म देखने से उनके शरीर में नेचुरल किलर सेल गतिवनिधियां बूस्ट हो जाती हैं जबकि भावनात्नक मूवी देखने से उनके इम्यून सिस्टम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि हंसी और बेहतर इम्यूनिटी के बीच एक निर्णायक संबंध को स्थापित करने के लिए अधिक शोध की जरूरत है।  खुलकर हंसना बहुत अच्छा होता है। इससे आपको नुकसान नहीं होता है और आपका इम्यून सिस्टम भी बूस्ट होता है। इसके साथ ही हंसने से बीमारी की संभावना को कम करने में भी मदद मिलती है।
  • आपकी कोशिकाओं की रक्षा करते हैं एंटीऑक्सिडेंट
    एंटीऑक्सिडेंट आपके आस-पास मौजूद रंगीन फलों और सब्जियों में यौगिक होते हैं,  जो आपको मुक्त कणों से बचाते हैं। मुक्त कण, डीएनए और अन्य सेल घटकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। रंग-बिरंगे फल और सब्जियां समग्र स्वास्थ्य और इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए सुरक्षात्मक एंटीऑक्सिडेंट का सबसे अच्छा मिश्रण प्रदान करते हैं। पत्तेदार साग, तरबूज, गाजर, जामुन, ब्रोकोली, संतरा, कीवी, कैंटालूप, और अन्य रंग-बिरंगे फल और सब्जियां खाना से आपकी कोशिकाओं और इम्यूनिटी सिस्टम को सभी प्रकार की प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है, जिसके कारण वह सही से काम कर पाती हैं। गाजर, अजवाइन और अन्य सब्जियों के साथ घर का बना सूप भी आपके इम्यून सिस्टम के लिए वरदान साबित हो सकता है।
  • जड़ी बूटी और सप्लीमेंट है इम्यून बूस्टर
    कुछ शोध में ये सामने आया है कि जड़ी-बूटियों और सप्लीमेंट में मौजूद यौगिक इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं। लहसुन, जिनसेंग, ग्रीन टी, काला जीरा  कुछ ऐसी  जड़ी बूटियां हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करती हैं। जड़ी बूटियों और सप्लीमेंट को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। कुछ स्थिति में सप्लीमेंट साइड इफेक्ट्स भी दे सकते हैं, खासकर तब -जब अन्य जड़ी बूटियों और सप्लीमेंट को अन्य दवाओं के साथ लिया जाता है। प्रोबायोटिक्स बैक्टीरिया को खत्म करने में फायदेमंद हैं,  जिन्हें इम्यून बूस्टर के रूप में भी वर्णित किया गया है। इतना ही नहीं प्रोबायोटिक्स पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकते हैं।
  • एक्सरसाइज से बूस्ट होती है इम्यूनिटी
    नियमित रूप से एक्सरसाइज करने पर आपको हृदय रोग, ऑस्टियोपोरोसिस और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर से बचाने सहित कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। एक्सरसाइज भी एक इम्यूनिटी प्रतिरक्षा बूस्टर है। अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का प्रयास करें। चलना व्यायाम करने के सबसे सरल तरीकों में से एक है। अगर आप चला नहीं चाहते हैं तो योग, तैराकी, साइकिलिंग या गोल्फ खेल सकते हैं। बागवानी भी एक एक्सरसाइज का एक अच्छा तरीका है।
  • हैंड वाश आपको और आपकी इम्यूनिटी को रखेगा स्वस्थ
    सर्दी, फ्लू, संक्रमण, दस्त संबंधी बीमारियों और अन्य संक्रामक स्थितियों जैसे श्वसन संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बार-बार हैंडवाश करने एक सरल और प्रभावी तरीका है। जब हम एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं तो कुछ कीटाणु एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से पहुंच जाते हैं। दरअसल जब भी हम किसी ऐसी सतह को छूते हैं, जो संक्रमित है और उसके बाद अपने मुंह और नाक या फिर चेहरे को छूते हैं तो हम भी उस संक्रमण से प्रभावित हो जाते हैं। इसके कारण हम बीमार भी पड़ सकते हैं।  इससे बचने का तरीका है बहते पानी के नीचे अपने हाथों को साबुन से धोना। अपने हाथों की उंगलियों और पीछे के साथ-साथ उंगलियों के बीच में भी रगड़ना न भूलें। एंटी-बैक्टीरियल साबुन और हाथ सैनिटाइजर सूक्ष्मजीवों के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें, जिसमें कि साबुन और पानी की जरूरत नहीं पड़ती है। हां इस बात का ध्यान रखें कि इसमें कम से कम 60% अल्कोहल का उपयोग किया गया हो।

सोर्स 

  • https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/conditionsandtreatments/immune-system
  • https://www.livescience.com/26579-immune-system.html
  • https://www.onhealth.com/content/1/immune_system_boost
  • http://www.niaid.nih.gov/research/immune-system-overview