
शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार होता है। बच्चे को छह माह तक केवल मां का ही दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर इस समय बच्चे को किसी भी चीज को आहार के रूप में न देने की सलाह देते हैं। दरअसल, मां के दूध में शिशु के लिए सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। ब्रेस्ट फीडिंग कराते समय मां को भी अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देना होता है, क्योंकि मां का आहार बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग के जरिए प्रभावित कर सकता है। साईं पॉलीक्लीनिक की वरिष्ठ स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विभा बंसल ने बताया कि ब्रेस्ट फीडिंग दौरान मां की डाइट से बच्चे पर क्या असर पड़ता है।
ब्रेस्ट फीडिंग के समय मां की डाइट का बच्चे पर क्या असर होता है | Impact Of Mother Diet On Baby During Breastfeeding In Hindi
पोषक तत्वों से भरपूर
जब एक मां स्तनपान कराती है, तो महिला के शरीर में उसके द्वारा खाए गए आहार के पोषक तत्वों को मिलाता है और इन पोषक तत्वों को ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से उसके बच्चे तक पहुंचाता है। आवश्यक विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, फैट और कार्बोहाइड्रेट सभी शिशु को दिए जाते हैं, जिससे शुरुआती महीनों के दौरान उनकी वृद्धि और विकास में सहायता मिलती है।
टेस्ट डेवलप होना
मां की डाइट से उसके बच्चा विभिन्न टेस्ट को समझ पाता है। माना जाता है जिन शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है, उन्हें उनकी मां द्वारा खाए गए खाद्य पदार्थों के आधार पर अलग-अलग स्वाद का अनुभव होता है। शुरुआत में अलग-अलग टेस्ट अनुभव बाद में बच्चे की टेस्ट प्राथमिकताओं को प्रभावित कर सकता है। इसलिए डॉक्टर महिलाओं को संतुलित आहार खाने की सलाह देते हैं।
एलर्जी उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थ
कुछ शिशु अपनी मां द्वारा खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील या एलर्जिक हो सकते हैं। सामान्य एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ, जैसे गाय का दूध, अंडे, नट्स, सोया और गेहूं, कभी-कभी स्तनपान कराने वाले शिशुओं में प्रतिक्रिया का कारण बन सकते हैं। मां के आहार में संभावित खाद्य एलर्जी की जांच और पहचान करने से बच्चे में होने एलर्जिक रिएक्शन को कम किया जा सकता है।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ
मां का आहार बच्चे की गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ और पाचन को प्रभावित कर सकता है। पर्याप्त फाइबर और प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों को लेने से मां और बच्चे दोनों की आंते मजबूत बनती हैं। इसके अलावा मां को ऐसी चीजे नहीं खानी चाहिए, जो बच्चे के लिए गैस का कारण बन सकती हैं।
मस्तिष्क का विकास
ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे कुछ पोषक तत्व, बच्चे के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के डेवलप के लिए आवश्यक हैं। अलसी और अखरोट जैसे हेल्दी फैट से भरपूर चीजों के सेवन से मां ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से बच्चे के बिल्डिंग ब्लॉक्स को बेहतर कर सकती हैं।
ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान मां को किस तरह की डाइट लेनी चाहिए?
स्तनपान कराने वाली मां के आहार में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए। तभी महिला और बच्चे को आवश्यक पोषण मिलता है। ऐसे में महिलाओं डाइट में आगे बताई गई चीजों को शामिल करना चाहिए।
- फल और सब्जियां : फल और सब्जियों में आवश्यक विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।
- साबुत अनाज: जई, ब्राउन चावल और गेहूं जैसे साबुत अनाज कॉम्पलैक्स कार्बोहाइड्रेट और फाइबर, शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
- लीन प्रोटीन: बच्चे के विकास और मांसपेशियों के विकास के लिए महिला डाइट में पोल्ट्री, मछली, बीन्स, दाल, टोफू और नट्स जैसे लीन प्रोटीन को शामिल कर सकती हैं।
- हेल्दी फैट : मस्तिष्क के विकास के लिए एवोकाडो, जैतून का तेल, अलसी, आदि का सेवन करें।
- डेयरी या कैल्शियम सप्लीमेंट : डेयरी उत्पाद या कैल्शियम सप्लीमेंट्स बेहद आवश्यक होते हैं, जो बच्चे की हड्डियों के विकास में सहायक होते हैं।
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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान का मां की डाइट का प्रभाव बच्चे पर पड़ता है। ऐसे में महिला को अपनी डाइट पर पूरा ध्यान देने की आवश्यकता होती है। ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को जंक फूड, धूम्रपान और शराब से दूरी बनानी चाहिए।