आज की गतिशील जीवन शैली में निसंतानता (बच्चा न होना) भी एक गंभीर विषय बनता जा रहा है। निसंतानता, जिसे हम इन्फर्टिलिटी भी कहते हैं। यह प्रजनन प्रणाली की एक ऐसी समस्या है, जिसमें महिला के गर्भधारण में विकृति आ जाती है। अगर हम आंकड़ों की बात करें तो आईवीएफ (In Vitro Fertilisation) का सफल रेट महज 30 फीसदी है, जो कुल निसंतान दंपत्ति का काफी कम प्रतिशत है। ऐसे में अधिकांश दंपत्ति निसंतान रह जाते हैं।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की माने तो इस समस्या के पीछे कई कारण होते है, जैसे कि हमारा खानपान, वातावरण, पारिवारिक कारण और जो सबसे बड़ा कारण है वह 'तनाव' है। जिससे आज हर दूसरा जूझ रहा है। ऐसे में भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति 'आयुर्वेद' में बच्चा न होने की समस्या को दूर करने के कई दावे हैं। जिन्हें समझने के लिए हमने आयुर्वेदिक गायनेकोलॉजिस्ट चंचल शर्मा से बातचीत की है। जिसमें उन्होंने गर्भधारण न होने के कारण और उनके प्राकृतिक उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
इन्फर्टिलिटी का आयुर्वेद में है सफल उपचार
इसी गंभीर समस्या को लेकर आशा आयुर्वेदा क्लिीनिक की एक्सपर्ट डॉक्टर चंचल शर्मा बताती है कि हमारे आयुर्वेद में निसंतानता का सफल इलाज आज से नहीं पुराने काल से चला आ रहा है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि आयुर्वेद का 90 फ़ीसदी से भी ज्यादा सफल रेट है, जबकि आईवीएफ में इसके सफल होने की संभावना काफी कम है और आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
डॉक्टर चंचल शर्मा कहती हैं कि आज बहुत से विवाहित जोड़े ऐसे है जो सालों के प्रयास के बाद भी संतान सुख से वंचित है, इंडियन सोसाइटी ऑफ़ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के मुताबिक भारत की 10-14% आबादी संतान सुख से वंचित है। जबकि, आयुर्वेद के माध्यम से निसंतानता को खत्म किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार में बच्चे होने की संभावना अधिक है।
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गर्भधारण न होने के कारण और उपचार
डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि आज कल लोगों की जीवन शैली ऐसी हो गई है कि उन्हें कुछ ऐसी बीमारियां होती है जिन्हें शुरू में तो वह नज़रअंदाज़ करते है लेकिन बाद में फिर उनका गर्भधारण पर गहरा असर डालती है। आमतौर पर इन्फर्टिलिटी की समस्या न सिर्फ महिलाओं में बल्कि पुरुषों में भी हो सकती है। हालांकि, अधिकांश महिलाओं में इन्फर्टिलिटी का मुख्य कारण फैलोपियन ट्यूब के ब्लॉक होना है, जिसके कारण गर्भधारण नहीं हो पाता है। इसके अलावा PCOS और एंडोमीट्रिऑसिस आदि कई कारण हैं।
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डॉ. चंचल शर्मा कहती हैं आयुर्वेद कई ऐसी दवाएं और थैरेपी हैं, जिसकी मदद से कंसीव कराया जा सकता है। पंचकर्मा थेरेपी और मेडिसिन के संयोजन से इस समस्या का समाधान होता है। इसमें पेशेंट को आयुर्वेदिक डाइट भी दिए जाते हैं, ताकि जो भी दोष (वात, पित्त और कफ) डिसटर्ब हैं वो ठीक हो जाएं। डॉ. शर्मा कहती है कि हम तीन महीने तक हम प्रॉब्लम को सॉल्व करने का समय लेते हैं। कुछ पेशेंट इन तीन महीनों में ही कंसीव करते हैं लेकिन ज्यादातर ऐसे हैं जो तीन महीने के ट्रीटमेंट के बाद ही कंसीव करते हैं।
बजट में है इन्फर्टिलिटी का उपचार
डॉ. चंचल शर्मा के मुताबिक, जहां आईवीएफ जैसी तकनीकों में लोग लाखों रूपए खर्च कर देते हैं। वहीं आयुर्वेद में काफी बजट में इन्फर्टिलिटी का उपचार किया जा सकता है। इन्फर्टिलिटी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट पूरी तरह से प्राकृतिक होता है। इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ भी नहीं होती है। ऐसे कई पेशेंट हैं, जिनका सफल उपचार किया गया है।
सफल इलाज और उनके अनुभव
नई दिल्ली की लता सैनी कहती हैं कि, हम लोग पिछले 11 सालों से निसंतानता से जूझ रहे थे। 2005 से ही इसका इलाज शुरू कर दिया था। आईवीएफ जैसे सभी इलाज करवाए लेकिन हम सफलता नही मिली। लेकिन अब आयुर्वेदिक इलाज से मेरा अब जाकर गर्भधारण हो गया है।
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