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best mudra for headache: सिरदर्द आजकल की एक सामान्य समस्या बन गई है। गर्दन और सिर के ऊपरी हिस्से में होने वाले दर्द को सिरदर्द कहा जाता है। सिरदर्द 150 प्रकार का होता है। कई बार सिरदर्द काफी तकलीफ और असहजता का कारण बन सकती है। सिरदर्द सामान्य से लेकर गंभीर हो सकता है। इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कई लोग सिरदर्द होने पर दर्दनिवारक दवाइयों का सेवन करते हैं, लेकिन आप चाहें तो सिरदर्द से राहत पाने के लिए कुछ योग मुद्राओं का भी अभ्यास कर सकते हैं।
सिरदर्द के कारण (Headache causes)
सिरदर्द कई कारणों से होता है। तनाव, चिता सिरदर्द के मुख्य कारण हैं। इसके अलावा खराब मुद्रा में बैठने से भी गर्दन, सिर और चेहरे पर दर्द महसूस हो सकता है। लगातार कंप्यूटर स्क्रीन पर देखना भी सिरदर्द का कारण बन सकता है। तेज शोर, कुछ गंध, डिहाइड्रेशन और मांसपेशियों में दर्द की वजह से भी सिरदर्द हो सकता है। इसके अलावा कई बीमारियां भी सिरदर्द का कारण बनती हैं।
1. महाशीर्ष मुद्रा (mahasirs mudra for headache)
महाशीर्ष मुद्रा सिरदर्द, माइग्रेन, साइनस और तनाव को दूर करने के लिए सहायक होता है। यह ऊर्जा को स्थिर करने में मदद करता है। यह तनाव के कारण होने वाले सिरदर्द से राहत दिलाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएं। अब अपनी तर्जनी, मध्यमा उंगुली की नोक को अंगूठे की नोक से मिलाएं। अनामिका उंगुली को हथेली की ओर मोड़ लें। आखिरी उंगुली को सीधी रखें। अब गहरी सांस लें और ध्यान लगाएं। आप इस अवस्था में 20-25 मिनट तक रह सकते हैं। यह मुद्रा उन पृथ्वी तत्वों को संतुलित करने में मदद करती है, जिसके कारण शरीर को किसी भी तरह से कष्ट होता है।
2. प्राण मुद्रा (pran mudra benefits)
प्राण मुद्रा करने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। यह सिरदर्द की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। प्राण मुद्रा में शरीर के पृथ्वी, जल और अग्नि तत्वों के स्थान का जुड़ना शामिल हैं। इस मुद्रा को करने के लिए पद्मासन में बैठ जाएं। अपनी तर्जनी और कनिष्ठा उंगुली की नोक को अंगूठे की नोक से मिला लें। बाकी दोनों उंगुलियों को सीधा रखें। सांस लें और ध्यान केद्रित करें। इससे ऊर्जा का प्रवाह महसूस होगा।
3. सहस्रार मुद्रा (sahasrara mudra benefits)
सहस्रार शब्द सातवें चक्र को संदर्भित करता है, जो सिर के शीर्ष पर बैठता है। सहस्रार मुद्रा का अभ्यास मुकुट चक्र को प्रभावित करता है। अधिक सोचने और तनाव के कारण होने वाले सिरर्द से सहस्रार मुद्रा राहत दिलाती है। इसे करने के लिए पद्मासन मे बैठें। अपने दोनों हाथों को छाती के ठीक सामने ले आएं। दोनों हाथों की अनामिका उंगुलियों को सीधा रखें। अन्य सभी उंगुलियों को आपस मे उलझा लें। अब ध्यान केंद्रित करें और सास लेते रहें। आप इस मुद्रा का रोजाना 30 से 40 मिनट तक अभ्यास करें।
4. त्रिमुख मुद्रा (trimukha mudra)
त्रिमुख मुद्रा को त्रिमुखी मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है। यह दोनों हाथों को जोड़कर किया जाता है। इस मुद्रा में कनिष्ठा, अनामिका और मध्यमा उंगली को मिलाया जाता है। ये जल, पृथ्वी और अंतरिक्ष तत्वों का आसन है। इस मुद्रा में गहरा ध्यान और एकाग्रता लगाई जाती है, इससे सिरदर्द की समस्या दूर होती है। इस मुद्रा को करने के लिए सुखासन मे बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को एक साथ लाएं। कनिष्ठा, अनामिका और मध्यमा उंगुलियों के छोर को स्पर्श करें। तर्जनी और अंगूठे को अलग रखें। आप इस मुद्रा का अभ्यास रोजाना 20-30 मिनट तक कर सकते हैं।
5. ज्ञान मुद्रा (gyan mudra for stress)
ज्ञान मुद्रा को वायु तत्व बढ़ाने वाला के रूप में भी जाना जाता है। वायु तत्व की वृद्धि मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने और सिरदर्द को ठीक करने में मदद करती है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से अशांत मानसिक स्थिति, तनाव, सिरदर्द, माइग्रेन आदि से राहत मिलती है। इस मुद्रा को करने के लिए पहले पद्मासन में बैठ जाएं। अपने हाथों को जांघ पर रखें। तर्जनी उंगुल को मोड़ें और अंगूठे की उगली के सिर से स्पर्श करें। गहरी सांस लेते हुए ध्यान लगाएं। इस मुद्रा का अभ्यास 20-30 मिनट तक करें।
सिरदर्द के लिए योगासन (yoga for headache)
सिरदर्द से राहत पाने के लिए आप योगासनों का अभ्यास भी कर सकते है। योग करने से तनाव दूर होता है, गैस की समस्या से राहत मिलती है। ऐसे में आपको अपनी जीवनशैली में योग को जरूर शामिल करना चाहिए। सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए सेतु बांधासन, बालासन, मर्जरियासन, पश्चिमोत्तानासन और पद्मासन का अभ्यास भी किया जा सकता है।