अधिकांश महिलाओं को यह भी नहीं पता होता कि उनकी फैलोपियन ट्यूब (गर्भाशय की नली) में किसी भी तरह की परेशानी है, जब तक कि वह गर्भधारण करने का प्रयास नहीं करती हैं। खासकर, जब गर्भाशय ट्यूब (फैलोपियन ट्यूब) के अंदर पानी भर जाता है, तब गर्भाशय की नली बंद (फैलोपियन ट्यूब में रूकावट) हो जाती है। इस स्थिति को हाइड्रोसाल्पिनक्स (Hydrosalpinx In Hindi) कहते हैं।
आजकल हाइड्रोसाल्पिनक्स का नाम लेकर लैप्रोस्कोपी (Laproscopy) और साथ में आईवीएफ (Ivf) करने की सलहा दे दी जाती है। जबकि आयुर्वेद में इसका सफल उपचार मौजूद है। इस समस्या को लेकर हमने दिल्ली की जानी-मानी आयुर्वेदिक व इंफर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा से हाइड्रोसाल्पिनक्स के बारे में बात की, "उन्होंने कहा कि फैलोपियन ट्यूब में होने वाली रूकावट का आयुर्वेद के माध्यम से उपचार संभव है। हमने कई ऐसी महिलाओं को मां बनते देखा है, जिन्हें पहले से हाइड्रोसाल्पिनक्स की समस्या थी।"
हाइड्रोसाल्पिनक्स के लक्षण (Hydrosalpinx Hone Ke Lakshan)
पेशाब करने में जलन या दर्द महसूस होना, पीरियड्स के समय दर्द संबंध बनाते समय दर्द होना इत्यादि। यदि ऐसा महसूस होता है तो आपको हाइड्रोसाल्पिनक्स की समस्या हो सकती है।
यदि फैलोपियन ट्यूब में संक्रमण सूजन और तरल पदार्थ भर जाने के कारण पेट में दर्द, श्रोणि दर्द (Pelvic Pain) और असामान्य योनि डिस्चार्ज (Vaginal Discharge) होने जैसी परेशानियों का महिलाओं को सामना करना पड़ता है।
हाइड्रोसाल्पिनक्स होने के कारण
अगर किसी महिला को हाइड्रोसाल्पिनक्स की समस्या है तो इसके बारे में जानकारी करने के लिए आयुर्वेदिक फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह जरुर लेनी चाहिए। हाइड्रोसाल्पिनक्स होने के पीछे कई कारण हो सकते है। जैसे- सूजन की बीमारी जो Scar Tissues और संक्रमण को पैदा करती है और जो ट्यूब में अवरुद्ध करने वाले हाइड्रोसल्पिनक्स का कारण बन सकता है।
कुछ एसटीडी रोग (Sexually transmitted disease) जैसे क्लैमाइडिया, गोनोरिया आदि हाइड्रोसाल्पिनक्स जैसी बीमारी को पैदा कर सकती हैं।
ट्यूबरक्युलोसिस (Tuberculosis) की समस्या फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में गर्भधारण की समस्या को प्रभावित करती है। यदि फैलोपियन ट्यूबों में पहले कभी सर्जरी हुई हो, तो यह हाइड्रोसाल्पिनक्स का कारण हो सकता है। इसके अलावा एक्टोपिक प्रेगनेंसी में किया गया ऑपरेशन भी हाइड्रोसाल्पिनक्स के कारणों में से एक है।
गर्भाशय के निकट जुड़े फाइब्रॉएड की वृद्धि फैलोपियन ट्यूबों में ब्लॉकेज उत्पन्न कर सकती है। एंडोमेट्रियोसिस की समस्या एंडोमेट्रियल टिश्यू फैलोपियन ट्यबों में जमा हो सकते है और एक अवरोध पैदा कर सकता है।
इसे भी पढ़ें: 40 के बाद प्रेग्नेंट होने के बारे में सोच रही हैं तो न करें ये गलतियां, जानें किन बातों से रहना चाहिए सावधान
हाइड्रोसाल्पिनक्स और गर्भावस्था
डॉक्टर चंचल शर्मा के अनुसार, फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होने के कारण शुक्राणु (Sperm) और अंडे (Egg) का निषेचन (Fertilisation) नहीं हो पाता है। इस कारण से निषेचन की प्रक्रिया पर असर पड़ता है। यदि एक महिला गर्भधारण करने का प्रयास कर रही है, तो आयुर्वेद के द्वारा हाइड्रोसाल्पिनक्स का उपचार पूरी तरह संभव है।
हाइड्रोसाल्पिनक्स की समस्या में गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए एक महिला को आईवीएफ करवाने के लिए सलाह दी जाती है। अगर एक ट्यूब बंद हो, तो गर्भावस्था की संभावना आधे से कम हो जाएगी क्योंकि कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि कौन-से अंडाशय से अंडा निकलेगा। हाइड्रोसाल्पिनक्स की समस्या से छुटकारा पाने के लिए फर्टिलिटी दवाओं का सुझाव दिया जाता है जो ओवुलेशन की संभावनाओं को बढ़ा सकती हैं।
इसे भी पढ़ें: क्या आयुर्वेद से दूर हो सकती है बच्चा न होने (इन्फर्टिलिटी) की समस्या? जानिए आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से
हाइड्रोसाल्पिनक्स (नलो में पानी भरना) की समस्या का उपचार
डॉक्टर चंचल शर्मा कहती हैं, हाइड्रोसाल्पिनक्स की समस्या महिलाओं में नि:संतानता का एक आम कारण हैं जिसके लिए हमने कई सफल उपचार किए हैं। हाइड्रोसाल्पिनक्स जैसे संक्रमण, टिशू में निशान उत्पन्न कर सकती है, जिसके कारण एक्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ सकती है। इन मामलों में आईवीएफ की सलाह दी जाती है परंतु यह पूरी तरह से सफल नही है और इसकी सफलता दर 20 से 25 प्रतिशत की होती है!
Read More Articles On Women Health In Hindi