Kanpur Rape Case: बचपन से हमें कई चीजों को लेकर पहले से ही सतर्क रहना सिखाया जाता है। हर मां-बाप कोशिश करते हैं कि वो अपने बच्चे को बैड टच और गुड टच के बारे में पहले से ही समझा दें। लेकिन क्या हो अगर बच्चे को बड़े के बजाय हम उम्र के बच्चे से ही डर हो? इस बात का उदाहरण पेश करता एक मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से सामने आया है। जहां अकबरपुर कोतवाली इलाके में एक 7 साल के बच्चे ने पड़ोस में रहने वाली पांच साल की बच्ची का रेप किया है। सूत्रों के मुताबिक बच्चा खेलने के बहाने पड़ोस में रहने वाली लड़की को एक सुनसान इलाके में लेकर गया था, जहां उसने घटना को अंजाम दिया। बच्ची के घर आने पर इस पूरी घटना का पता चल पाया था। इस घटना के सामने आने के बाद से ही देश में दहशक का माहौल बना हुआ है।
हर किसी के मन में सिर्फ यही प्रश्न बना हुआ कि आखिर 7 साल का बच्चा इतनी बड़ी घटना को अंजाम कैसे दे सकता है। जिस उम्र में बच्चे चीजें समझना भी शुरू नहीं करते, ऐसे में कोई बच्चा इतना बड़ा कदम उठाने का फैसला कैसे कर सकता है?
अब सवाल यह आता है कि आखिर इस घटना को अंजाम देते वक्त उस बच्चे की मानसिकता क्या रही होगी? साथ ही ऐसी कौन-सी ऐसी चीजें हैं जो बच्चों की मानसिकता को प्रभावित कर सकती हैं? इस बारे में जानने के लिए हमने बात कि सर गंगा राम अस्पताल (ओल्ड राजेन्द्र नगर) की एसोसिएट कंसल्टेंट रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजिस्ट नीलम मिश्रा से।
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अपने आसपास से सीखना
साइकोलॉजिस्ट नीलम मिश्रा का कहना है कि इस उम्र के दौरान बच्चों को क्लियर ही नहीं होता कि वो क्या और क्यों कर रहे हैं। वो बस चीजें अपने आसपास से सीखते हैं, और ट्राई करने की कोशिश करते हैं।
बच्चे की संगति गलत होना
छोटी उम्र में बच्चों को सही-गलत के बारे में ज्यादा पता नहीं होता। ऐसे में वो अपने आसपास से जो चीजें सीखते हैं, उसको अपनाने की कोशिश करते हैं। इसका कारण पेरेंट्स का बच्चों पर ध्यान न दे पाना भी हो सकता है। बच्चों किन लोगों के बीच ज्यादा रहता है या किन चीजों में इंटरेस्ट दिखाता है, ये सभी चीजें बच्चे की मानसिकता को प्रभावित कर सकती हैं।
सही-गलत का फर्क न समझाना
बच्चे को सही-गलत में फर्क न समझाना और उनकी गतिविधियों पर नजर न रखना बड़ा कारण हो सकता है। अधिकतर मां-बाप बच्चों को सेक्सुअल चीजों की जानकारी देने में कतराते हैं। ऐसे में बच्चों का ध्यान उन चीजों की और बढ़ सकता है जिनके लिए उन्हें मना किया जाए।
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परिवार द्वारा ध्यान न दे पाना
कई बच्चों को बहुत लाड-प्यार से पाला जाता है। ऐसे में बच्चे के लिए बाउंड्री निर्धारित न करना एक मुख्य कारण हो सकता है। उन्हें जरूरत से ज्यादा छूट दी जाती है, साथ ही उन्हें छोटा समझकर उनकी हर एक्टिविटी को नजरअंदाज किया जाता है। ऐसे में बच्चे हर चीज को सही मानने लगते हैं। उन्हें लगता है कि वो जो सोच-समझ रहे हैं या फैसले कर रहे हैं, सभी चीजें सही ही हैं।
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बच्चों के साथ हेल्दी रिलेशन बनाएं
अपनी दिनचर्या से बच्चों के लिए समय जरूर निकालें। उन्होंने दिनभर में क्या देखा, क्या सीखा या किन लोगों के साथ समय बिताया हर चीज की जानकारी लें।
बच्चों की संगति पर ध्यान दें
ज्यादातर पेरेंट्स को लगता है स्कूल के जरिए उनका बच्चा सभी चीजें सीख रहा है। ऐसे में वो बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन आपको बच्चों की संगति पर खास ध्यान देना होगा कि बच्चे किन लोगों के साथ समय बिताते हैं। उनके साथ किस तरह की बातें करते हैं।
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बच्चों के लिए बाउंड्री निर्धारित करें
आपको बच्चों के लिए बाउंड्री निर्धारित करनी होगी। उन्हें हर चीज को नॉर्मल लेना सिखाना होगा। साथ ही ध्यान देना होगा कि बच्चे अपने खाली समय में किन एक्टिविटीज पर ज्यादा ध्यान देते हैं या कहा ज्यादा इंटरेस्ट ले रहे हैं।
खेल-खेल में जरूरी चीजें सिखाएं
आपको बच्चों को जोर-जबरदस्ती करने के बजाय चीजों को खेल-खेल में सिखाना है। उन्हें सही-गलत में पहचान करना सिखाना होगा। आपको उन्हें समझाना होगा कि आखिर किस तरह टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही उन्हें हर चीज शेयर करने की आदत डालनी होगी।