थायराइड - Thyroid in Hindi

जानें थायराइड क्या है? What is Thyroid in Hindi?

थायराइड एक तरह की ग्रंथि होती है जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है। यह ग्रंथि आपके शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। यानी जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह आपके हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है। थायराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। क्‍योंकि इसके लक्षण एक साथ नही दिखते है। पुरूषों में थायराइड की समस्या के लक्षण समस्या के प्रकार पर निर्भर करता है, यह किसी भी अंतर्निहित कारण, समग्र स्वास्थ्य, जीवन शैली में परिवर्तन और दवाओं के साथ चल रहे इलाज के कारण हो सकता है।

  • थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है।
  • रजोनिवृत्ति में असमानता भी थायराइड का कारण बनती है।
  • थाइराइड से ग्रस्त मरीजों को थाइराइड फंक्शन टेस्ट करना चाहिए।

बच्‍चों में थायराइड - Thyroid in Children in Hindi

अक्‍सर बच्‍चों में थायराइड समस्‍या के लिए माता-पिता ही जिम्‍मेदार होते हैं। अगर गर्भावस्‍था के दौरान मां को थायराइड समस्‍या है तो बच्‍चे को भी थायराइड की समस्‍या हो सकती है। इसके अलावा मां के खान-पान से भी बच्‍चे का थायराइड फंक्‍शन प्रभावित होता है। अगर गर्भावस्‍था के दौरान मां के डाइट चार्ट में आयोडीनयुक्‍त खाद्य-पदार्थों का अभाव है तो इसका असर शिशु पर पड़ता है। वैसे तो बड़ों, किशारों और बच्‍चों में थायराइड समस्‍या के लक्षण सामान्‍य होते हैं। लेकिन अगर बच्‍चों में थायराइड की समस्‍या हो तो उनका शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। बच्‍चों में अगर थायराइड समस्‍या है तो बच्‍चों के चिकित्‍सक से संपर्क कीजिए।

थायराइड के कारण - Thyroid Causes in Hindi

माइग्रेन कई कारणों से हो सकता है। इनमें ये कारण प्रमुख हैं।

  • थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
  • सोया उत्पाद- इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यायदा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।
  • दवाएं- कई बार दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव (साइड इफैक्टप) भी थायराइड की वजह होते हैं।
  • ह्य्पोथालमिक रोग- थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।
  • आयोडीन की कमी- भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या में इजाफा करता है। 
  • विकिरण थैरेपी- सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण्‍ा।
  • तनाव- जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती  है।
  • परिवार का इतिहास- यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है। 
  • ग्रेव्स रोग- ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।
  • गर्भावस्था- थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था, जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है। 
  • रजोनिवृत्ति- रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।

थायराइड के लक्षण - Thyroid Symptoms in Hindi

जानें थायराइड के लक्षण:

थायराइड की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसलिए इसकी वजह से शरीर में कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। थायराइड के सामान्य लक्षणों में जल्दी थकान, शरीर सुस्त रहना, थोड़ा काम करते ही एनर्जी खत्म हो जाना, डिप्रेशन में रहने लगना, किसी भी काम में मन न लगना, याद्दाश्त कमजोर होना और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना शामिल हैं। इन सभी समस्याओं को आम समझकर ज्यादातर लोग इग्नोर करते रहते हैं जो बाद में खतरनाक साबित हो सकता है और कई बार तो जानलेवा साबित हो सकता है।

जानें थायराइड ग्रंथि क्या है:

थायराइड कोई रोग नहीं बल्कि एक ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से ये रोग होता है। लेकिन आम भाषा में लोग इस समस्या को भी थायराइड ही कहते हैं। दरअसल थायराइड गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक इंडोक्राइन ग्रंथि है। ये ग्रंथि एडमस एप्पल के ठीक नीचे होती है। थायराइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्लैंड से होता है जबकि पिट्यूटरी ग्लैंड को हाइपोथेलमस कंट्रोल करता है। थायराइड ग्रंथि का काम थायरॉक्सिन हार्मोन बनाकर खून तक पहुंचाना है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहे। ये ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन बनाती है। एक टी3 जिसे ट्राई-आयोडो-थायरोनिन कहते हैं और दूसरी टी4 जिसे थायरॉक्सिन कहते हैं। जब थायराइज से निकलने वाले ये दोनों हार्मोन असंतुलित होते हैं तो थायराइड की समस्या हो जाती है।

थायराइड का परीक्षण - Diagnosis of Thyroid in Hindi

फिजियोलॉजी:

थाइराइड ग्रंथि से हाइपोथैलमस, पिट्यूटरी ग्रंथियां और थाइराइड सभी मिलकर थाइरॉक्सिन और ट्राइआयोडोथाइरोनाइन के निर्माण में सहयोग करते हैं। थाइराइड को उकसाने वाले हार्मोन थाइराइड से टी-3 और टी-4 को छोडते हैं। थाइरॉक्सिन या टी-4 थाइराइड से‍ निकलने वाला मुख्य हार्मोन है। फिजियोलॉजी के जरिए इन हार्मोन की जांच लैब में की जाती है जिससे थाइराइड का पता लगता है। इसलिए थाइराइड की समस्या होने पर रोगी को फिजियोलॉजी करवाना चाहिए।

स्क्रीनिंग:

स्क्रीनिंग के जरिए थाइराइड से ग्रस्त मरीज की पूरी तरह से पॉजिटिव जांच संभव नहीं होती है लेकिन कई मामलों में थाइराइड के मरीज के लिए स्क्रीनिंग भी फायदेमंद होती है। थाइराइड के जन्मजात मरीज और शिशुओं की स्क्रीनिंग जांच से थाइराइड का पता लग जाता है। मधुमेह रोगियों (टाइप-1 और टाइप-2) में स्क्रीइनिंग से थाइराइड की जांच संभव है। टाइप-1 मधुमेह से पीडित महिला और बच्चा होने के तीन महीने बाद महिला की स्क्रीनिंग थाइराइड के लिए की जा सकती है। 

थाइराइड फंक्श न टेस्ट्स (टीएफटी):

थाइराइड से ग्रस्त मरीज के लिए थाइराइड फंक्शन टेस्ट  किया जाता है। इस जांच से यह निश्चित हो जाता है कि मरीज हाइपोथाइराइड है या हाइपरथाइराइड। इसके लिए थाइराइड को उकसाने वाले हार्मोन की जांच की जाती है। 80-90 प्रतिशत मरीजों में टीएसएच सीरम ज्यादा घातक होता है। हाइपोथाइराजिड्म से ग्रस्त मरीज में टीएसएच का स्तर बढता है और हाइपरथाइराजिड्म के मरीज में टीएसएच का स्तर घटता है। टीएफटी जांच से टीएसएच सीरम की संवेदनशीलता का पता चलता है जिससे थाइराइड के मरीज का इलाज समय से पहले किया जा सकता है।

निगरानी करके:

थाइराइड के मरीज के व्यवहार को देखकर कुछ हद तक थाइराइड की जांच की जा सकती है। प्रसव के बाद महिला के स्‍वास्‍थ्‍य को देखकर थाइराइड का पता लगाया जा सकता है। टाइप-1 मधुमेह से ग्रसित लोगों के दैनिक क्रियाकलापों को देखकर, गर्दन को हिलाने में या इधर-उधर देखने में दिक्कत होने पर, कई दिनों सामान्य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या फीवर या सर्दी-जुकाम आदि के द्वारा इसकी जांच की जा सकती है। 

थायराइड का इलाज - Thyroid Treatment in Hindi

रेडियोएक्टिव आयोडीन ट्रीटमेंट:

थाइराइड के मरीज को रेडियोएक्टिव आयोडीन दवाई गोली या लिक्विड के द्वारा दिया जाता है। इस उपचार के द्वारा थाइराइड की ज्यादा सक्रिय ग्रंथि को काटकर अलग किया जाता है। इसमें जो आयोडीन दिया जाता है वह आयोडीन स्कैन से अलग होता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन को लगातार आयोडनी स्कैन चेकअप के बाद दिया जाता है और आयोडीन हाइपरथाइराइजिड्म के पहचान की पुष्टि करता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन थाइराइड की कोशिकाओं को समाप्त करते हैं। इस थेरेपी से शरीर को कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं होता है। इस थेरेपी से 8-12 महीने में थाइराइड की समस्या समाप्त हो जाती है। 

सर्जरी:

सर्जरी के द्वारा आंशिक रूप से थाइराइड ग्रंथि को निकाल दिया जाता है, जो कि बहुत सामान्य तरीका है। थाइराइड के मरीजों में सर्जरी के द्वारा उसके शरीर से थाइराइड के ऊतकों को निकाला जाता है जो कि ज्यादा मात्रा में थाइराइड के हार्मोन पैदा करते हैं। लेकिन सर्जरी से आसपास के ऊतकों पर भी प्रभाव पडता है। इसके अलावा मुंह की नसें और चार अन्य। ग्रंथियां (जिनको पैराथाइराइड ग्रंथि कहते हैं) भी प्रभावित होती हैं जो कि शरीर में कैल्शियम स्तर को नियमित करती हैं। थाइराइड की सर्जरी उन मरीजों को करानी चाहिए जिनको खाना निगलने में दिक्कत हो रही हो और सांस लेने में दिक्कत हो। प्रग्नेंट महिला और बच्चे जो कि थाइराइड की दवाइयों को बर्दास्त नहीं कर सकते हैं उनके लिए सर्जरी उपयोगी है।

एंटीथाइराइड गोलियां:

थाइराइड में सामान्य समस्याएं जैसे बुखार, गले में ख्रास जैसी समस्याएं होती हैं। यह छोटी समस्याएं थाइराड की वजह से हो सकती हैं इसलिए दवाईयां लेने से पहले जांच करानी चाहिए। थाइराइड के मरीज को चिकित्सक से सलाह लेकर एंटीथाइराइड की गोलियां खानी चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीथाइराइड की गोलियां आपके लिए हानिकारक हो सकती हैं।

थायराइड को कैसे करें कंट्रोल - Tips to control Thyroid

थायराइड संबंधी सभी समस्याओं से बचना तो आसान नहीं, लेकिन खानपान के जरिए इससे होने वाली समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है। थायराइड ग्रंथि को उचित आयोडीन आहार से ठीक रखा जा सकता है। सी-फूड और आयोडीन युक्त नमक आदि का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही बहुत ज्यादा वो खाना खाने से बचें जिससे घेंघा होने की संभावना हो। पत्ता गोभी, फूल गोभी और शलगम आदि से दूर ही रहें क्योंकि इससे घेंघा बनने की संभावना रहती है। हायपरथायराइडिज्म, या थायराइड कैंसर को रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन जैसे ही आपको इसका कोई लक्षण दिखाई दे फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।

थायराइड कम करने के घरेलू नुस्खे - Home Remedies for Thyroid in Hindi

फ्राइड फूड्स - थायराइड होने पर डॉक्टर इस हार्मोन को बनाने वाला ड्रग देता है। लेकिन, तला हुआ खाने से इस दवाई का असर कम हो जाता है।

चीनी - थायराइड होने पर ज़्यादा चीनी खाने से भी बचें। हो सके तो वो सारी डिशेज़ अवॉइड करें, जिनमें चीनी हो।

कॉफी - ज़्यादा कॉफी पीने से भी थायराइड से जुड़ी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। कॉफी में मौजूद एपिनेफ्रीन और नोरेपिनेफ्रीन थायराइड को बढ़ावा देते हैं।

गोभी से बचें - अगर आप थायराइड का ट्रीटमेंट ले रहे हैं, तो बंदगोभी और ब्रोकोली खाने से भी बचें।

ग्लूटेन - ग्लूटेन में ऐसे प्रोटीन्स होते हैं जो इम्यून सिस्टम को वीक करते हैं। इसीलिए, थायराइड होने पर इसे बिल्कुल अवॉइड करें।

सोया - वैस तो हाइपोथायराइडिज्म के इलाज के दौरान सोया नहीं खाना चाहिए। लेकिन, कहते हैं कि थायराइड की दवाई लेने के 4 घंटे बाद इसे खा सकते हैं।