अपने बच्चों को डायबिटीज से कैसे बचा सकते हैं आप? डायबिटीज विशेषज्ञ स्वाती बाथवाल से जानें जरूरी टिप्स

आजकल बच्चों में क्यों बढ़ने लगा है डायबिटीज का खतरा और किन तरीकों से मां-बाप अपने बच्चों को डायबिटीज से बचा सकते हैं, जानें स्वाती बाथवाल से।

Anurag Anubhav
Reviewed by: स्वाती बाथवालUpdated at: Nov 15, 2021 10:23 ISTWritten by: Anurag Anubhav
अपने बच्चों को डायबिटीज से कैसे बचा सकते हैं आप? डायबिटीज विशेषज्ञ स्वाती बाथवाल से जानें जरूरी टिप्स

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डायबिटीज (Diabetes) हल्के लक्षणों से शुरू होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जो धीरे-धीरे गंभीर होती जाती है। डायबिटीज का असर व्यक्ति के शरीर के सभी प्रमुख अंगों पर होता है, जिनमें हार्ट (हृदय), किडनी, फेफड़े, नर्व्स (तंत्रिकाएं), आंखें, लिवर, मस्तिष्क (ब्रेन) आदि शामिल हैं। यही कारण है कि डायबिटीज लंबे समय में असामयिक मृत्यु (Premature Death) का कारण बनता है। ऑस्ट्रेलियन डायबिटीज एजुकेटर एसोसिएशन ऑस्ट्रेलिया द्वारा मान्यता प्राप्त डायबिटीज विशेषज्ञ और डायटीशियन स्वाती बाथवाल से जानें 'अपने बच्चों को डायबिटीज के खतरे से कैसे बचा सकते हैं आप?' नीचे आप इस लाइव बातचीत में स्वाती बाथवाल द्वारा बताई गई प्रमुख बातों और टिप्स को पढ़ सकते हैं, साथ ही बातचीत का वीडियो भी देख सकते हैं। आइए सबसे पहले यह जानते हैं कि डायबिटीज कितनी बड़ी बीमारी है।

risk of diabetes in kids

बच्चों को डायबिटीज होने की आशंका कितनी है? (Risk of Diabetes in Kids)

आपको जानकर हैरानी होगी कि इंटरनैशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार 2019 में दुनियाभर में डायबिटीज मरीजों का आंकड़ा लगभग 46.3 करोड़ था। इसका अर्थ यह है कि दुनिया की लगभग 9% आबादी डायबिटीज का शिकार है। इन आंकड़ों में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं। आमतौर पर डायबिटीज को लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी माना जाता है। लेकिन ये बीमारी अनुवांशिक भी होती है, यानी माता-पिता से उनके बच्चों में पहुंच सकती है। अनुवांशिक डायबिटीज को टाइप-1 डायबिटीज कहते हैं और व्यक्ति के जीवनकाल में खराब लाइफस्टाइल के कारण होने वाले डायबिटीज को टाइप-2 डायबिटीज कहते हैं। कुछ दशकों पहले तक बच्चों में ज्यादातर टाइप-1 डायबिटीज पाया जाता था और बड़ों में टाइप-2 डायबिटीज। लेकिन पिछले 2 दशकों में दुनियाभर के बच्चों की लाइफस्टाइल (जीवनशैली) में जो बदलाव आया है, उसकी वजह से अब बड़ी संख्या में बच्चे टाइप-2 डायबिटीज का भी शिकार होने लगे हैं। स्वाती बाथवाल ने इस बातचीत में मुख्य रूप से टाइप 2 डायबिटीज के बारे में चर्चा की है, क्योंकि इस डायबिटीज को रोका जा सकता है। जबकि टाइप-1 डायबिटीज को रोका नहीं जा सकता है।

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बच्चों में क्यों बढ़ने लगा है टाइप 2 डायबिटीज का खतरा? (Causes of Diabetes in Children)

स्वाती बाथवाल बताती हैं कि बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के बढ़ने के 2 मुख्य कारण हैं- गलत खानपान और खराब लाइफस्टाइल (फिजिकल एक्टिविटीज की कमी और विटामिन डी की कमी)।

1. बच्चों के खानपान में कहां है गड़बड़ी? (Diet Mistakes Which Increase Risk of Diabetes in Children)

बच्चों को मीठा पसंद होता है। आजकल बच्चों के खानपान में सबसे ज्यादा मीठी और प्रॉसेस्ड चीजें शामिल हो चुकी हैं, जिनमें पोषक तत्व बिल्कुल नहीं होते, बल्कि शुगर और कार्ब्स बहुत ज्यादा होते हैं। बच्चों के लिए बनाई जाने वाली टॉफीज, चॉकलेट्स, पैकेटबंद स्नैक्स, फ्रूट जूस आदि में मिठास के लिए या तो चीनी (रिफाइंड शुगर) का प्रयोग किया जाता है, या फिर हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप का इस्तेमाल किया जाता है। ये दोनों ही चीजें बच्चों के लिए हानिकारक होती हैं और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ाती हैं। इसी तरह अधिक मैदे वाले या ऑयली फूड्स की वजह से भी बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।

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2. बच्चों के लाइफस्टाइल में कहां है गड़बड़ी? (Lifestyle Mistakes Which Increase Risk of Diabetes In Kids)

स्वाती बाथवाल के अनुसार बच्चों की लाइफस्टाइल पहले से बहुत अधिक बदल चुकी है। पहले बच्चे काफी समय घर के बाहर खेलते थे, जिससे उनका शारीरिक व्यायाम भी होता था और उन्हें सूरज की किरणों से पर्याप्त विटामिन डी भी मिलता था। लेकिन आजकल बच्चे ज्यादातर समय घर के अंदर रहते हैं। स्कूल से पढ़कर लौटने के बाद ट्यूशन जाना और ट्यूशन से लौटने के बाद मोबाइल, टीवी या लैपटॉप पर बिजी हो जाना बच्चों की लाइफस्टाइल का हिस्सा बन गया है। ऐसे में बच्चे ज्यादातर समय शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं रहते हैं, जिसका असर उनके शरीर की फिटनेस पर पड़ता है। कम शारीरिक गतिविधि के कारण छोटी उम्र में ही बच्चे मोटापे के शिकार हो जाते हैं। मोटापा, कम शारीरिक मेहनत और विटामिन डी की कमी, ये तीनों ही सीधे तौर पर टाइप-2 डायबिटीज से जुड़े हुए हैं।

kids lifestyle increasing risk of type 2 diabetes

3. मोबाइल, टीवी के इस्तेमाल से प्रभावित हो रही है बच्चों की नींद (Screen Gadgets and Sleep Deprivation in Kids)

स्वाती कहती हैं कि जितने भी स्क्रीन वाले गैजेट्स हैं, जैसे- मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, टैबलेट आदि, उनमें से ब्लू लाइट निकलती है। ये ब्लू लाइट नींद लाने वाले हार्मोन (स्लीप हार्मोन) मेलाटोनिन (Melatonin) के उत्पादन को कम कर देती हैं, जिसकी वजह से रात में नींद अच्छी नहीं आती है। बच्चे आजकल इन स्क्रीन वाले गैजेट्स का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते हैं, इसलिए उन्हें नींद न आने की समस्या भी हो रही है। नींद की कमी भी डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देती है क्योंकि इसका असर इंसुलिन हार्मोन के उत्पादन पर पड़ता है।

बच्चों को डायबिटीज से बचाने के लिए कुछ हेल्दी मीठी रेसिपीज क्या हैं? (Healthy Sweet Recipes For Kids )

स्वाती बताती हैं कि बच्चों के लिए मीठी चीजें बाजार से लाने के बजाय घर पर ही बनाएं। खाने में मिठास लाने के लिए आप गुड़, ब्राउन शुगर, खजूर, किशमिश, शहद आदि से बनाते हैं, तो बच्चों के लिए हेल्दी होता है। जैसे आप खजूर में थोड़ा सा मेवा डालकर खजूर के लड्डू बना सकते हैं। बेसन को देसी घी में डालकर ड्राई फ्रूट्स के साथ आप मीठे लड्डू बना सकते हैं। इसी तरह आप बच्चों को पनीर की मिठाई, काजू कतली, गाजर का हलवा, चुकंदर का हलवा आदि दे सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि बच्चों को नैचुरल मीठी चीजें भी सीमित मात्रा में ही दें। इनका बहुत ज्यादा सेवन भी नुकसानदायक ही होगा।

diabetes and healthy diet for kids

बच्चों के स्नैक्स और फास्ट फूड्स में होता है डायबिटीज का खतरा बढ़ाने वाला ये खास तत्व (Side Effects of MSG in Foods)

स्वाती ने बताया कि बच्चों के लिए बाजार में मिलने वाले पैकेटबंद फूड्स (चिप्स, सूप, नमकीन), फास्ट फूड्स, जंक फूड्स, खासकर चायनीज फूड्स में एक खास केमिकल मिलाया जाता है, जिसे मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) कहते हैं। ये बच्चों में क्रेविंग (और अधिक खाने की लालसा) पैदा करता है और धीरे-धीरे उन्हें डायबिटीज की तरफ धकेलता है। परेशानी की बात ये है कि अक्सर पैकेट के पीछे लिखे इंग्रीडिएंट्स में MSG के दूसरे नामों का इस्तेमाल करके लोगों को बेवकूफ बनाया जाता है। अगर किसी फूड पैकेट के पीछे हाइड्रोलाइज्ड वेजिटेरियन प्रोटीन, यीस्ट एक्स्ट्रैक्ट, वेजिटेबल गम आदि MSG के ही नाम हैं।
ये MSG शरीर में जाकर इंसुलिन का प्रोडक्शन बढ़ा देता है, जिससे भूख बढ़ती है, वजन बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है। इसके अलावा ये MSG बच्चों के नर्वस सिस्टम को भी बुरी तरह प्रभावित करता है।

कोला (सॉफ्ट ड्रिंक्स) कितना नुकसानदायक है? (Side Effects of Soft Drinks for Kids)

एक ग्लास कोला में लगभग 20 चम्मच चीनी घुली होती है। इसके अलावा इसमें कैफीन भी होता है। इतनी मात्रा में शुगर लेना भी बच्चों के लिए बहुत-बहुत हानिकारक हो सकता है।

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बच्चों में किन संकेतों के दिखने पर डायबिटीज की आशंका हो सकती है? (Early Signs of Diabetes in Kids)

  • लगातार बढ़ रहा शरीर का वजन यानी मोटापा
  • जल्दी-जल्दी प्यास लगना
  • जल्दी-जल्दी पेशाब लगना
  • बहुत ज्यादा भूख लगना

लेकिन इन संकेतों के दिखने पर आप डॉक्टर से मिलकर डायबिटीज की जांच करा सकते हैं। इस तरह आप कुछ बातों का ध्यान रखकर, बच्चों के खानपान और लाइफस्टाइल में थोड़े बदलाव करके और उनमें ऊपर बताए संकेतों को देखने के बाद सही समय पर जांच और इलाज कराकर उन्हें डायबिटीज के खतरे से बचा सकते हैं। नीचे इस सीरीज के तीसरे एपिसोड की बातचीत का वीडियो है, जिसे आप देख सकते हैं।

इस सीरीज के चौथे एपिसोड में स्वाती बाथवाल 12 नवंबर को शाम 4 बजे बताएंगी, "डायबिटीज से जुड़ी आम भ्रांतियां और गलत धारणओं के बारे में। तो आप रोजाना इस लाइव बातचीत से जुड़िए और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी को हराने में ओनलीमायहेल्थ की मुहिम का हिस्सा बनिए।

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