भारत में कई तरह के फल पाए जाते हैें। उत्तर भारत के कई लोगों को वाटर एप्पल के बारे में मालूम नहीं है। इस फल में अन्य फलों की तरह की कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। तमिलनाडु में इसे जंबू या पनीर नवल के नाम से जाना जाता है। जबकि, कर्नाटक के कुछ हिस्सों में इसे पनीर नवल के नाम से पहचाना जाता है। इसके सेवन से पाचन क्रिया संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, बुखार और कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए भी वाटर एप्पल को फायदेमंद माना जाता है। डायटीशियन शिवाली गुप्ता से जानते हैं कि क्या प्रेग्नेंसी में वाटर एप्पल का सेवन किया जा सकता है।
प्रेग्नेंसी में वाटर एप्प्ल के फायदे - Benefits Of Water Apple In Pregnancy In Hindi
पोषक तत्वों से भरपूर
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है। वाटर एप्प्ल में मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन सी, आयरन, फाइबर, जिंक व कॉपर पाया जाता है। ये सभी पोषक तत्व भ्रूण के विकास में सहायक हो सकते हैं। दरअसल, गर्भावस्था में कुछ महिलाओं को खून की कमी होने का खतरा अधिक होता है। ऐसे में उनको अपनी डाइट में इस फल को शामिल करना चाहिए।
पाचन क्रिया को करें बेहतर
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के आकार की वजह से महिलाओं की पाचन क्रिया पर दबाव पड़ने लगता है। इससे उनको पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती है। पाचन क्रिया में सुधार करने के लिए डॉक्टर महिलाओं को फाइबर युक्त चीजों का सेवन करने की सलाह देते हैं। वाटर एप्पल में पानी की मात्रा अधिक होती है, जो आपके आहार को पाचने में सहायक होती है। इससे महिलाओं को कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।
यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन कम होना
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का खतरा अधिक होता है। वाटर एप्पल के पोषक तत्व शरीर को डिटॉक्स करने में सहायक होते हैं। यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन को दूर करने के लिए आप प्रेग्नेंसी में वाटर एप्पल का सेवन कर सकते हैं। इससे यूरिन व ब्लैडर संबंधी समस्या होने की संभावना कम हो सकती है।
प्रेग्नेंसी में मुंहासों का करें दूर
प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव तेजी से होते हैं। ऐसे में महिलाओं को मुंहासे होने की संभावना अधिक होती है। मुंहासों को दूर करने के लिए आप वाटर एप्पल का सेवन कर सकती हैं। इसमें पाए एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं।
सूजन के कम करने में सहायक
प्रेग्नेंसी में भ्रूण का आकार बढ़ने की वजह से महिलाओं के अंदरुनी अंगों पर दबाव पड़ता है। जिससे उनके कार्य प्रभावित होते हैं। प्रेग्नेंसी की दूसरी व तीसरी तिमाही में महिलाओं को वाटर रिटेनशन की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से उनके पैरों में सूजन आने लगती है। इस समस्या को दूर करने में वाटर एप्प्ल फायदेमंद हो सकता है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। जिससे पैरों की सूजन में आराम मिलता है।
इसे भी पढ़ें : प्रेग्नेंसी के दौरान दस्त (डायरिया) की समस्या क्यों होती है? जानें इससे बचने के उपाय
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी डाइट पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। इस दौरान उनका आहार उनके भ्रूण की ग्रोथ को प्रभावित करता है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को डॉक्टर व डायटीशियन की मदद से अपने लिए डाइट चार्ट तैयार करना चाहिए। यदि, डाइट में किए गए बदलावों से महिलाओं को किसी तरह की पेरशानी हो रही है, ऐसे में आप सामान्य डाइट को फॉलो करें। साथ ही, किसी भी समस्या को नजरअंदाज किए बिना तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।