उच्‍च रक्‍तचाप के बारे में जानिये सब कुछ

अनियमित दिनचर्या के कारण हाई ब्‍लड-प्रेशर एक समस्‍या की तरह बनता जा रहा है। डब्‍ल्‍यूएचओ के मुताबिक दुनिया भर में हर साल हाई ब्‍लड-प्रेशर के कारण 70 लाख से अधिक मौतें होती हैं।

Nachiketa Sharma
Written by:Nachiketa SharmaPublished at: Sep 08, 2014

उच्‍च रक्‍तचाप एक समस्‍या

उच्‍च रक्‍तचाप एक समस्‍या
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अनियमित दिनचर्या के कारण वर्तमान में हाई ब्‍लड प्रेशर एक समस्‍या की तरह बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में हर साल हाई ब्‍लड-प्रेशर के कारण 70 लाख से अधिक मौतें होती हैं। दुनिया का लगभग हर तीसरा व्यक्ति इससे प्रभावित है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि 2025 तक विश्व में 1.5 बिलियन से ज्यादा लोग उच्‍च रक्‍तचाप की गिरफ्त में आ सकते हैं। इसके बारे में सबकुछ जानिये। image source - getty images

क्‍या है हाई ब्‍लड-प्रेशर

क्‍या है हाई ब्‍लड-प्रेशर
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खून द्वारा धमनियों पर डाले गए दबाव को ब्लड-प्रेशर या रक्तचाप कहते हैं। उच्‍च हाई ब्लड-प्रेशर किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। यह बीमारी पुरुष व महिला किसी को भी हो सकती है। एक बार अगर आप इस रोग के शिकार हो गए तो इससे निकल पाना मुश्किल होता है। यदि कई दिन तक किसी व्‍यक्ति का रक्‍तचाप 90 और 140 से ऊपर बना रहता है, तो इसे उच्‍च रक्‍तचाप माना जाता है। image source - getty images

साइलेंट किलर है

साइलेंट किलर है
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उच्‍च रक्‍तचाप को साइलेंट किलर भी माना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इस समस्‍या से ग्रस्‍त लगभग 20 प्रतिशत लोगों को इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। जब तक उन्‍हें इस समस्‍या का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। image source - getty images

ब्‍लड प्रेशर के प्रकार

ब्‍लड प्रेशर के प्रकार
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प्रत्‍येक व्‍यक्ति के ब्‍लड प्रेशर में दो माप शामिल होती हैं, पहली सिस्टोलिक और दूसरी डायस्टोलिक। इसे उच्‍चतम रीडिंग और निम्‍नतम रीडिंग भी कहा जाता है। मांसपेशियों में संकुचन हो रहा है या धड़कनों के बीच तनाव मुक्‍तता में अलग-अलग माप होती है। आराम के समय सामान्य रक्‍तचाप में उच्‍चतम रीडिंग यानी सिस्टोलिक 100 से 140 तक और डायस्‍टोलिक यानी निचली रीडिंग 60 से 90 के बीच होती है। अगर कई दिन तक किसी व्‍यक्ति का रक्‍तचाप 140/90 बना रहता है तब उसे हाई ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या है। image source - getty images

कैसे करें माप

कैसे करें माप
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ब्‍लड प्रेशर की जांच करने के लिए बाजार में कई प्रकार के मॉनिटर मिल जायेंगे। समय-समय पर और विभिन्न परिस्थितियों में अपने ब्लड प्रेशर की माप करें। शुरू में दवाओं को एडजस्ट करते समय ब्लड प्रेशर नाप कर एक गोल निश्चित कर लें। सामान्‍य ब्लड प्रेशर 120/80 से कम होता है। जिन्हें डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर है, उनका ब्लड प्रेशर 130/80 या उससे कम होना चाहिए। image source - getty images

उच्‍च रक्‍तचाप संबंधित खतरे

उच्‍च रक्‍तचाप संबंधित खतरे
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अगर आप उच्‍च रक्‍तचाप की समस्‍या से ग्रस्‍त हैं तो आपको इससे संबंधित कई खतरे हो सकते हैं। उच्‍च रक्‍तचाप के कारण सबसे अधिक दिल के दौरे और दिल संबंधति बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा इस समस्‍या से ग्रस्‍त लोगों को कोलेस्‍ट्रॉल और डायबिटीज की भी जांच करानी चाहिए। image source - getty images

खानपान का असर पड़ता है

खानपान का असर पड़ता है
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उच्‍च रक्‍तचाप की समस्‍या से ग्रस्‍त लोगों पर खानपान का सबसे अधिक असर पड़ता है। खाने में नमक की मात्रा कम रखें, सोडियमयुक्‍त आहार का सेवन कम कर दें। अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो समुद्री मछली का सेवन न करें। कैफीन और एल्‍कोहल के सेवन से भी रक्‍तचाप बढ़ता है। image source - getty images

अन्‍य समस्‍यायें

अन्‍य समस्‍यायें
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उच्‍च रक्‍तचाप के कारण कई अन्‍य बीमारियां होने की संभावना भी रहती है। हाई ब्लड-प्रेशर में रोगी की याद्दाश्‍त पर असर हो सकता है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। इसमें रोगी के मस्तिष्क में खून की आपूर्ति और कम हो जाती है, और सोचने-समझने की शक्ति घटती जाती है। हाई ब्लड-प्रेशर के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी या मोटी हो सकती है। इसके कारण आंखों की रोशनी कम होने लगती है उसे धुंधला दिखाई देने लगता है। image source - getty images

इसे नियंत्रित रखें

इसे नियंत्रित रखें
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अगर आप उच्‍च रक्‍तचाप से ग्रस्‍त हैं तो चिकित्‍सक इसे नियंत्रित रखने की सलाह भी देते हैं। स्‍वस्‍थ खानपान और नियमित व्‍यायाम के जरिये इसे कम रखा जा सकता है। रात में सोते वक्‍त भी रक्‍तचाप कम हो जाता है, इसलिए अच्‍छी नींद लेना है जरूरी। image source - getty images

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