मुंबई शहर से जुड़ा है दुनिया के सबसे दुर्लभ 'बॉम्बे ब्लड ग्रुप' का नाम, जानें इस रक्‍त समूह की खास‍ियत

Bombay Blood Group: दुनिया के सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप का नाम है बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप। जानें इसकी खास‍ियत और इतना रेयर होने का कारण।

Written by: Yashaswi Mathur Updated at: Sep 25, 2023 13:15 IST

Bombay Blood Group: साल 2012 में व‍िद्या बालन की एक फ‍िल्‍म आई थी ज‍िसका नाम था कहानी। उस फ‍िल्‍म में एक खास ब्‍लड ग्रुप का नाम बताया गया है ज‍िसे बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप कहा जाता है। वैसे तो लोगों का ब्‍लड ग्रुप ए, बी, एबी, ओ होता है। इनमें से ही निगेटिव और पॉजिटिव ब्लड ग्रुप बांटे होते हैं। लेक‍िन बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप एक बहुत रेयर रक्‍त समूह है। इसल‍िए इस ब्‍लड ग्रुप का जो भी व्यक्‍त‍ि रक्‍तदान करता है, उसे बहुत संभालकर स्‍टोर क‍िया जाता है। क्‍योंक‍ि इस रेयर ब्‍लड ग्रुप के डोनर एक बार रक्‍तदान करने के 3 महीने बाद ही दोबारा रक्‍तदान कर सकते हैं। बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले मरीजों के ल‍िए इमरजेंसी की स्‍थि‍त‍ि में ब्‍लड बैंक काम आता है। ज‍िन लोगों को जांच के जर‍िए यह पता चल जाता है क‍ि वे बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप की श्रेणी में आते हैं, तो वह सेंट्रल ब्लड रजिस्ट्री में अपना नाम दर्ज कराते हैं। ताक‍ि जरूरत पड़ने पर उनकी या इसी ब्‍लड ग्रुप के क‍िसी अन्‍य व्‍यक्‍त‍ि की जान बचाई जा सके। क्रायो प्रिजर्वेशन नाम की तकनीक से डोनेट क‍िए गए खून को लंबे समय तक सुरक्ष‍ित रखा जा सकता है। आगे जान‍िए आख‍िर यह ब्‍लड ग्रुप इतना दुर्लभ क्‍यों है और इस ब्‍लड ग्रुप की क्‍या खास‍ियत है, यह हम आगे लेख में जानेंगे। 

क्‍या है बॉम्बे ब्लड ग्रुप?- What is Bombay Blood Group

ज‍ितने भी ब्‍लड ग्रुप्‍स के नाम हम जानते हैं वह अंग्रेजी वर्णमाला के हैं। जैसे- ए, बी, एबी और ओ। लेके‍िन बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप का नाम बॉम्‍बे शहर पर रखा गया है ज‍िसे हम वर्तमान समय में मुंबई के नाम से जानते हैं। दरअसल डॉ वाईएम भेंडे ने वर्ष 1952 में इस ब्‍लड ग्रुप की खोज मुंबई या बॉम्‍बे में की थी। बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप के सबसे ज्‍यादा मरीज मुंबई में पाए जाते हैं। क्‍योंक‍ि अनुवांशिक होने के कारण यह एक से दूसरी पीढ़ी में पहुंच रहा है। स्थानांनतरण के कारण अब बॉम्बे ब्लड ग्रुप के लोग देश के अन्‍य ह‍िस्‍सों में भी म‍िलते हैं।

इतना दुर्लभ क्‍यों है बॉम्बे ब्लड ग्रुप?- Why Bombay Blood Group is Rare 

बॉम्बे ब्लड ग्रुप इतना दुर्लभ है क‍ि इसके ल‍िए डोनर ढूंढने के ल‍िए कई बार सरकार को दूसरे देश से भी मदद मांगनी पड़ती है। कुछ समय पहले म्‍यांमार को भारत ने बॉम्बे ब्लड की दो यून‍िट भेजी थी। ब्‍लड एक महि‍ला के ल‍िए ल‍िया गया ज‍िसे अपने देश में खून नहीं म‍िला। तब भारत में मौजूद संकल्प इंडिया फाउंडेशन के ब्‍लड बैंक से खून का इंतजाम क‍िया गया। भारत के करीब 10 हजार लोगों में से क‍िसी एक व्‍यक्‍त‍ि में यह ब्‍लड ग्रुप पाया जाता है।     

रक्‍त जांच में बॉम्बे ब्लड ग्रुप का पता नहीं चलता- Bombay Blood Group in Hindi

इस ब्‍लड ग्रुप के लोगों को खोजने में भी समस्‍या होती है। ऐसा इसल‍िए क्‍योंक‍ि इस ब्‍लड ग्रुप की सामान्‍य जांच में बॉम्‍बे ग्रुप का पता नहीं चलता। 'ओ' ब्लड ग्रुप से जुड़ा होने के कारण इसे ओ पॉजि‍टिव या निगेटिव मान ल‍िया जाता है। ऐसे में कई लोगों को यह तक पता नहीं होता क‍ि वे उनका रक्‍त समूह बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप है। जब खून की जरूरत पड़ने पर रक्‍त की जांच की जाती है, तो वह ओ ब्‍लड ग्रुप से मैच नहीं करता। इस तरह पता चलता है क‍ि व्‍यक्‍त‍ि बॉम्बे ब्लड ग्रुप की श्रेणी में शाम‍िल है।    

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सामान्‍य जीवन जीते हैं बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप वाले लोग- Bombay Blood Group People Live Normal Life 

इंसान के ब्‍लड में मौजूद रेड ब्‍लड सेल्‍स में शुगर मॉल‍िक्‍यूल्‍स होते हैं। इन शुगर मॉल‍िक्‍यूल्‍स से तय होता है क‍ि व्‍यक्‍ति‍ का ब्‍लड ग्रुप क्‍या होगा। लेक‍िन बॉम्‍बे ब्‍लड ग्रुप वाले लोगों में शुगर मॉल‍िक्‍यूल्‍स नहीं बन पाते। इसल‍िए वे क‍िसी भी ब्‍लड ग्रुप में नहीं आते। लेक‍िन इस ब्‍लड ग्रुप के लोगों के खून में मौजूद प्‍लाज्‍मा के अंदर एंटीबॉडी ए, बी और एच होता है। इसल‍िए रेयर ब्‍लड ग्रुप होने के बावजूद भी यह ब‍िल्‍कुल सामान्‍य जीवन जीते हैं। इन्‍हें शारीर‍िक तौर पर कोई परेशानी नहीं होती।  

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