Doctor Verified

रेबीज के कारण हर साल होती है लाखों मौत, 15 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा: WHO की रिपोर्ट

रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जिसे शुरुआत में रोका जा सकता है। मगर एक बार संक्रमण दिमाग तक पहुंच जाए, तो मरीज को बचा पाना लगभग असंभव है। 

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: Sep 21, 2023 19:07 IST
रेबीज के कारण हर साल होती है लाखों मौत, 15 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा: WHO की रिपोर्ट

Onlymyhealth Tamil

रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जिसे वैक्सीन के जरिए रोका जा सकता है। ये वैक्सीन हर जगह आसानी से मौजूद है। इसके बावजूद रेबीज के कारण हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत होती है। WHO ने हाल में रेबीज को लेकर फैक्ट शीट जारी की है, जिसमें बताया गया कि रेबीज से होने वाली 40% से ज्यादा मौत 15 साल से कम उम्र के बच्चों की होती है। रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जो कुत्ते, बंदर, बिल्ली आदि जानवरों के काटने से फैलती है। ये सभी जानवर ऐसे हैं, जो घरों में सबसे ज्यादा पाले जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि रेबीज के 99% मामले पालतू कुत्तों के काटने से फैलते हैं।

रेबीज 100% जानलेवा बीमारी है; यानी अगर किसी व्यक्ति को रेबीज हो जाता है, तो उसे बचा पाना लगभग असंभव है। इसके बावजूद लोग इस बीमारी को लेकर लापरवाही बरतते हैं। इसका बड़ा कारण ये हो सकता है कि लोगों को रेबीज के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। आज इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि रेबीज क्यों खतरनाक और जानलेवा बीमारी मानी जाती है और इसे कैसे रोका जा सकता है। रेबीज के बारे में कुछ बातों की जानकारी के लिए ओनलीमायहेल्थ ने सिद्धार्थनगर, जिला अस्पताल के जनरल फिजीशियन डॉ. राम आशीष यादव से बात की है। 

Rabies in Human

रेबीज क्यों है खतरनाक बीमारी?

रेबीज जानवरों के लार से फैलने वाली बीमारी है। जब कोई जानवर व्यक्ति को काटता है या किसी कट वाली जगह को चाटता है, तो उसकी लार व्यक्ति के खून के संपर्क में आ जाती है, जिससे रेबीज का संक्रमण उस व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाता है। रेबीज खतरनाक बीमारी इसलिए है क्योंकि ये सीधे इंसान के सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है। स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन पर अटैक करने के कारण ये वायरस इंसान और जानवरों दोनों के लिए खतरनाक और जानलेवा साबित होता है।

इसे भी पढ़ें- सिर्फ कुत्ते के नहीं, इन जानवरों के काटने से भी हो सकता है रेबीज इंफेक्शन

आमतौर पर जानवर के काटने के बाद ब्रेन तक रेबीज के वायरस के पहुंचने में 3 से 12 सप्ताह का समय लगता है। कुछ मामलों में ये सप्ताह भर से कम समय में भी दिमाग पर अटैक कर सकता है। दिमाग में पहुंच जाने के बाद वायरस तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगता है, जिससे ब्रेन सेल्स में सूजन आने लगती है। जैसे-जैसे दिमाग पर ये वायरस अटैक करता जाता है, वैसे-वैसे मरीज में इसके लक्षण दिखना शुरू होते हो जाते हैं। एक बार लक्षण दिखना शुरू हुए तो ये बीमारी लगभग 100% जानलेवा साबित होती है, यानी इस स्टेज तक पहुंच जाने के बाद मरीज को बचाना संभव नहीं है।

रेबीज के लक्षण क्या हैं?

शुरुआती स्टेज में जानवर के काटने हुए स्थान पर व्यक्ति को झुनझुनी, चुभन और जलन जैसा महसूस होता है। WHO के अनुसार रेबीज दो तरह के हो सकते हैं। पहला है फ्यूरियस रेबीज (Furious Rabies), जो सबसे कॉमन है। इस प्रकार के रेबीज में जैसे-जैसे व्यक्ति के दिमाग पर रेबीज वायरस अटैक करता जाता है, उसके व्यवहार में कुछ-कुछ परिवर्तन आने लगते हैं, जैसे- हिंसक व्यवहार, भ्रम की स्थिति, आवाज में परिवर्तन, पानी से डर लगना, ठंडी हवा से डर लगना आदि। आमतौर पर इन लक्षणों के उभरने के कुछ सप्ताह के अंदर ही कार्डियो रेस्पिरेटरी अरेस्ट के कारण मरीज की मौत हो जाती है। 

वहीं दूसरी तरह का रेबीज है पैरालाइटिक रेबीज (Paralytic Rabies)। इस प्रकार के रेबीज में ये वायरस धीरे-धीरे असर करता है। ये 20% मामलों में ही देखने को मिलता है। इस प्रकार के रेबीज में मरीज का शरीर सबसे पहले जानवर के काटने वाली जगह पर लकवाग्रस्त होता है। इसके बाद धीरे-धीरे पूरा शरीर लकवाग्रस्त होता जाता है। एक वक्त के बाद कोमा में जाकर मरीज की मौत हो जाती है। 

रेबीज की जांच कैसे होती है?

WHO के अनुसार लक्षण शुरू होने से पहले रेबीज की जांच कर पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन मरीज में लक्षणों के कंफर्म होने पर चिकित्सक रेबीज के लिए फ्लूरोसेंट एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इसका पता लगा सकते हैं। इस टेस्ट में दिमाग और नर्वस सिस्टम के फ्रोजन हिस्सों की माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है। इसके अलावा  सलाइवा टेस्ट या RT-PCR टेस्ट के जरिए भी इसका पता लगाया जाता है। कुछ मामलों में स्पाइनल फ्लुइड को भी टेस्ट किया जाता है। इस फ्लुइड में रेबीज के एंटीबॉडीज की जांच की जाती है। 

इसे भी पढ़ें- कुत्ता काटने के कितनी देर बाद तक इंजेक्शन लगवा सकते हैं? जानें कब शरीर में फैलने लगता है रेबीज इंफेक्शन

रेबीज से बचने के लिए क्या करें?

रेबीज से बचने के उपाय बेहद आसान हैं। आप अगर कुछ बातों का ध्यान रखें, तो रेबीज से सुरक्षित रह सकते हैं। घर में अगर पालतू जानवर (खासकर कुत्ता, बिल्ली आदि) हैं, तो उन्हें समय-समय पर एंटी-रेबीज का इंजेक्शन लगवाते रहें। शरीर में कहीं भी घाव है या स्किन कटी हुई है, तो देखें कि पालतू जानवर उसे न चाटे। कुत्ते, बिल्ली, बंदर या रेबीज फैलाने वाले अन्य जानवर के काटने या खरोंच मारने पर सबसे पहले घाव को अच्छी तरह साबुन से धोएं और फिर जल्द से जल्द टिटनेस और एंटी-रेबीज इंजेक्शन जरूर लगवाएं।

इसे भी पढ़ें- कुत्ते के काटने पर भूलकर भी न करें ये गलतियां, डॉक्टर ने दी ये सलाह

उम्मीद है इस लेख से आपको रेबीज के बारे में काफी नई जानकारियां मिली होंगी। अगर आपको ये जानकारियां उपयोगी लगीं, तो इन्हें अपने परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि इस लाइलाज बीमारी के बारे में सभी जागरूक हो सकें। सेहत और स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे और लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें ओनलीमायहेल्थ के साथ।

Source: WHO

Disclaimer