योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाने से कई तरह के रोगों से बचाव किया जा सकता है। योग का महत्व सदियों से ऋषियों द्वारा सदियों से बताया जा रहा है। यही, कारण है कि आज के समय में लोग योग के प्रति रुचि लेने लगे हैं। कुछ बच्चों और युवाओं में रीढ़ की हड्डी का आकार थोड़ा टेढ़ा हो जाता है। इस समस्या को स्कोलियोसिस के नाम से जाना जाता है। यह समस्या बच्चों और युवाओं के साथ ही किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। शारीरिक गतिविधियों और योग के कुछ आसनों की मदद से रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। हालांकि, इसका इलाज किया जाना बेहद जरूरी होता है। आप योग आसन को दवाओं और इलाज के साथ करने से इसके सही होने के समय को कम कर सकते हैं। आगे योगा इंस्ट्रक्टर रिप्सी सिंह से जानते हैं कि इस समस्या में किन योगासनों को करना चाहिए।
स्कोलियोसिस के लिए योग क्यों फायदेमंद है?
एक्सपर्ट्स और डॉक्टरों के अनुसार योग स्कोलियोसिस वाले लोगों के लिए बहुत मददगार हो सकता है, विशेष रूप से योग मुद्राओं को नियमित सही तरीक से करने से रीढ़ की हड्डी की फ्लेक्सिब्लिटी और कोर पोजीशन को सही होने में मदद मिलती है।
रीढ़ की हड्डी के रोग में करें ये योगासन - Yoga Benefits For Scoliosis In Hindi
शलभासन (Locust Pose)
इस योग आसन को करने से पीठ और रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बेहतर होता है। साथ ही, हाथ और कंधे मजबूत होते हैं। इसके अलावा, इस आसन के अभ्यास से गर्दन और कंधों की नसों में खिचांव आता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है। इसे करने के लिए आप पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों पैरों और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। कुछ सेकेंड के बाद दोबारा नॉर्मल पोजीशन में आ जाएं।
ताड़ासन (Mountain Pose)
रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं में आप इस योग आसन को कर सकते हैं। इससे आपका पोश्चर ठीक होता है। साथ ही, रीढ़ की हड्डी दोबारा से ठीक हो जाती है। बच्चे इसे लंबाई बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं। इसमें आपको खड़े होकर हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं। इसी दौरान आप पंजों पर खड़े होकर शरीर को ऊपर की ओर धकेले। इससे रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है।
अनंतासन (Side-Reclining Leg Lift)
इस आसन को करने से आपके शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है। साथ ही, पाचन क्रिया के साथ ही रीढ़ की हड्डी पर पड़ने वाला दबाव भी कम होता है। इसे करने के लिए आप जमीन पर करवट लेकर लेट जाएं। इसके बाद दाएं सिर को सपोर्ट दें। इसके बाद बाएं पैर को ऊपर की ओर उठाएं और हाथ से पंजों को छूने का प्रयास करें। इस आसन को दूसरी तरफ से भी कर सकते हैं।
सेतुबंधासन (Bridge Pose)
इस आसन से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। साथ ही, गर्दन, सीने और पीठ में खिंचाव आता है। ब्रेन में ब्लड फ्लो बढ़ता है। इसे करने के लिए आप पीठ के बल लेट जाएं इसके बाद घुटनों को मोड़ते हुए पैरों को कूल्हे के पास लाएं। ऐसा करने के बाद कमर को ऊपर की ओर उठाएं। इस पोज में कुछ सेकेंड के लिए रूकें। इसके बाद दोबारा नॉर्मल पोजीशन में आ जाएं।
अर्ध उत्तानसन (Half Forward Bend)
इस आसन को करने के लिए आपको जमीन पर खड़े होकर आगे की ओर झुकना होता है। ऐसे में रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और धीरे-धीरे शरीर को नीचे की ओर ले जाएं। कुछ सेकंड के लिए इस पोज में रूकें और दोबारा सीधे खड़े हो जाएं।
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रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने के लिए कई योगासन हैं। लेकिन, किसी भी योग आसन को करते समय उसे सही तरीके से करें। योग करने से पहले योगाचार्य से सलाह अवश्य लें। साथ ही, डॉक्टर की राय लेना भी बेहद जरूरी होता है।