अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
योग क्या है? - What is Yoga in Hindi?
जानें योग क्या है, योग के फायदे, योग के नियम, योग करने का सही समय, योग के प्रकार और योग आसन:
शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास के समूह को योग कहते हैं। यह शरीर, मस्तिष्क और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम करता है। योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ जोड़ना या मिलना है। तन और मन का एक साथ जुड़ जाना योग है। योग ऐसी कला जो आपकी सोई हुई शक्तियों को जगाता है। इसका उदय प्राचीन भारत में हुआ था। योग का जिक्र भगवद् गीता में भी किया गया है। भगवद् गीता में वर्णित "सिद्धासिद्धयो समोभूत्वा समत्वं योग उच्चते" का अर्थ है दुःख-सुख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योग है। योग के बारे में अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी बताया गया है। योग क्रिया हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में एक ध्यान प्रक्रिया से संबंधित है।
आपको बता दें कि, भारत सरकार के काफी प्रयासों के बाद 2014 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी, जिसके बाद 21 जून 2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। तब से हर वर्ष दुनिया भर में योग दिवस मनाया जा रहा है।
योग के स्वास्थ्य लाभ
वर्तमान समय में व्यस्त जीवनशैली के कारण लोग प्रशंन्नचित्त रहने के लिए योग करते हैं। योगासन न केवल व्यक्ति का तनाव दूर करता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है। योग बहुत ही लाभकारी है। योग हमारे दिमाग, मस्तिष्क को ताकत पहुंचाता है। यह हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। आज बहुत से लोग मोटापे से परेशान हैं, उनके लिए योग बहुत ही फायदेमंद है। ह्रदय रोग, लिवर और सांस की समस्या, त्वचा रोग, खून की कमी, आंखों के विकार, हड्डियों और दांतों के रोगों के अलावा अस्थमा, रक्तचाप, मधुमेह व शरीर के सभी रोगों का इलाज योग में है। योग ऐसी क्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति निरोगी जीवन जी सकता है। योग को यह हैप्पीनेस का सबसे बेहतर माध्यम माना गया है।
योग के प्रकार - Types of Yoga in Hindi
योग मुख्यत: योग चार प्रकार के होते हैं:
- मंत्र योग - 'मंत्र' का समान्य अर्थ है- 'मननात् त्रायते इति मंत्रः'। जो मन को पार कर ले वह मंत्र है। मंत्र योग का सम्बन्ध मन से है, मन को इस प्रकार परिभाषित किया है- मनन इति मनः। जो मनन, चिन्तन करता है वही मन है। मन की चंचलता का निरोध मंत्र के द्वारा करना मंत्र योग है।
- हठ योग - हठ का शाब्दिक अर्थ हठपूर्वक किसी कार्य करने से लिया जाता है। ह का अर्थ सूर्य तथ ठ का अर्थ चन्द्र बताया गया है। सूर्य और चन्द्र की समान अवस्था हठयोग है। हठ प्रदीपिका में हठयोग के चार अंगों का वर्णन है- आसन, प्राणायाम, मुद्रा और बन्ध तथा नादानुसधान। घेरण्डसंहिता में सात अंग- षटकर्म, आसन, मुद्राबन्ध, प्राणायाम, ध्यान, समाधि जबकि योगतत्वोपनिषद में आठ अंगों का वर्णन है- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, भ्रमध्येहरिम् और समाधि।
- कुंडलिनी योग - चित्त का अपने स्वरूप विलीन होना या चित्त की निरूद्ध अवस्था लययोग के अन्तर्गत आता है। कुंडलिनी योग में साधक के चित्त् में जब चलते, बैठते, सोते और भोजन करते समय हर समय ब्रह्म का ध्यान रहे इसी को लय योग कहते हैं।
- राजयोग - राजयोग सभी योगों का राजा कहलाया जाता है क्योंकि इसमें प्रत्येक प्रकार के योग की कुछ न कुछ सामग्री अवश्य मिल जाती है। राजयोग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग का वर्णन आता है। राजयोग का विषय चित्तवृत्तियों का निरोध करना है। महर्षि पतंजलि के अनुसार समाहित चित्त वालों के लिए अभ्यास और वैराग्य तथा विक्षिप्त चित्त वालों के लिए क्रियायोग का सहारा लेकर आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया है। इन साधनों का उपयोग करके साधक के क्लेशों का नाश होता है, चित्तप्रसन्न होकर ज्ञान का प्रकाश फैलता है और विवेकख्याति प्राप्त होती है है।
योग कब और कैसे करें - Basic Guidelines for Yoga Practice in Hindi
योग करने से पहले जरूर जान लीजिये ये बात:
- अगर आप पहली बार योग करने जा रहे हैं तो किसी योग गुरू से थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त कर लें। इससे आपको किसी तरह की समस्या नहीं होगी। अगर आप किसी शारीरिक व्याधियों से ग्रसित हैं तो आप निश्चित रूप से किसी विशेषज्ञ की सलाह के बगैर योग न करें।
- योग हमेशा एक निश्चित समय पर करना चाहिए। आप सुबह जल्दी उठकर, दोपहर में भोजन खाने से पहले या फिर शाम में योग कर सकते हैं। आमतौर पर सुबह के समय योग करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, क्योंकि उस समय आप और आपके आसपास का वातावरण शांत होता है और सुबह के समय आपकी ऊर्जा-शक्ति भी ज्यादा होती है।
- आप अपने घर का कोई भी साफ़ और शांत स्थान चुन लें, जहां आप पर्याप्त जगह हो और आप वहां अपनी योग-चटाई बिछा कर योग कर सके। याद रहे कि वह स्थान हवादार हो और स्वच्छ हो। ध्यान रखें कि कभी भी योग फर्श या ज़मीन पर न करें। अगर आप योग सुबह करते हैं तो चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखे और शाम को योग करते समय पश्चिम या दक्षिण दिशा की तरफ चेहरा करके योग करें।
- कभी भी योग-आसन खाने के बाद तुरंत बाद न करें। ऐसा करना बहुत ही नुकसान-दायक साबित हो सकता है। योग सुबह खाली पेट करें। अगर सुबह आपके पास समय नहीं होता है योग करने का, तो दिन में आप खाना खाने के 2 से 3 घंटे बाद योग कर सकते हैं। वज्रासन ही एक ऐसा आसन है, जिसे खाना खाने के तुरंत बाद करना चाहिए, क्योंकि यह आसन आपके पाचन तंत्र को व्यवस्थित रखने में मदद करता है। योग करने के दौरान मुख से श्वास लेना हानिकारक हो सकता है।
- यह ध्यान रखे की कभी भी योग करते समय तंग कपड़े ना पहने, क्योंकि ऐसे कपड़े पहनने से आप योग-आसन अच्छे से और देर तक नहीं कर पाएंगे। ढीले और आरामदायी कपडे पहनकर योग करें। इसके अलावा आपने अगर गले, हाथ, पैर में गहने और आभूषण पहने हुए हैं, तो योग करने से पहले उसे भी निकाल कर रख दें। योग करने से पहले भारी मेक-अप से बचें।
योगासन में सावधानियां - Precautions for a Yoga Practice in Hindi
योगासन में सावधानियां:
- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान योग नहीं करना चाहिए, क्यूंकि इस अवधि में गर्भाशय गुहा खुला रहता है और रक्त-स्त्राव की प्रक्रिया जारी रहती है। इस दौरान योग करने से रक्त-स्त्राव संबंधी गम्भीर समस्याएं हो सकती हैं।
- अगर कोई महिला गर्भवती है, उसे गर्भावस्था के दौरान योग नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के 3 महीने बाद योग के कुछ सरल आसन किये जा सकते हैं। लेकिन, पहले योग-प्रशिक्षक से जरूर परामर्श लें।
- 3 वर्ष की आयू से कम के बच्चों को ज़्यादा मुश्किल आसन ना करायें। अगर योग कराना है तो प्रशिक्षक की मदद लें।
- धूम्रपान सख्ती से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। अगर आपको तंबाकू या धूम्रपान की आदत है, तो योग अपनायें और यह बुरी आदत छोड़ने की कोशिश करें।
- शरीर को व्यायाम और पौष्टिक आहार के साथ विश्राम की भी ज़रूरत होती है। समय से सोए।